मैं अक्सर अपने घर के पास साईं मन्दिर मैं जाता रहता हूँ, ऐसे ही एक दिन साईं मन्दिर की ओर जा रहा था, एक बुडी औरत ने मुझे आवाज दी, उसकी आवाज सुन के मैं उस के पास गया, वोह बोली बेटा मुझे चाय पिला दो,मैं उसको देखने लगा, उस बुडी औरत को लगा कि मुझे उस पर कुछ शक हो रहा है, फिर उसने मुझे एक फटा हुआ सा कागज दिखया, जो कि उसकी पेंशन से सम्बंधित था, पास मैं ही पुलिस चोकी है,मैंने उससे पुछा "अम्मा यहाँ क्यो बैठी हो,और जब तुम्हे पेंशन मिलती है तो चाय क्यों मांग रही हो?" उसने मुझे बताया की उसके तीन बेटे है, वोह उसको मारते,पिटते हैं, तब यह पुलिस वाले उनको धमका देते हैं, फिर मैंने पुलिस वालो से उसके बारे मैं पुछा, तब पता चला कि उसका पति पुलिस मैं था, और लम्बी बीमारी के कारण गुजर गया, उसने अपने पति के इलाज मैं बहुत अधिक धन खर्च दिया है, उसके एक बेटे ने दूसरी शादी कर ली,और वोह भी अपनी माँ को नही पूछता, वहाँ तो चाय नही मिली, मैं और वोह एक हलवाई के पास चाय वाले के पास पहुंचे, वहाँ हलवाई के पास कुछ कुर्सिया पड़ी थी उस पर बैठ गये, थोड़ी देर वहाँ बैठ कर मैं उसकी आप बीती सुनने लगा, वोह हलवाईरुखे स्वर बोला की फालतु जगह क्यों घेर रखी हैं, मैंने कहा अम्मा यहाँ रूको मैं अभी आया, और घर की तरफ अपना स्कूटर लेने चला गया,और आने के बाद उसको स्कूटर पर बैठा लिया, और हलवाई से कुछ जलेबिया ले ली, तो उस हलवाई की बोली भी नरम पड़ गयी, हम दोनों उन कुर्सियों पर बैठ गये, और उससे बात करने लगा, वोह बोली बेटा मुझे कोई छोटी,मोटी नौकरी दिला दो कैसी भी मैं कर लूंगी, उससे बात करने के बाद मैंने घर पर आ कर के प्रियम मित्तल जो कि स्नेह परिवार की संचालिका हैं,जिनके स्नेह परिवार के विषय मैंने बहुत दिन पहेले लिखा था, उनसे इस बुडी औरत की आया की नौकरी के लिए बात करी, उन दिनों प्रियम जी भी आया ढूँढ रही थी, वैसे तो उन्होने मुझे कहा अभी मेरे पास चार,पाँच आप्शन है, फिर देखती हूँ।
मेरा साईं मन्दिर जाना तो अक्सर होता है, उस बुडी औरत को ढूनता रहता हूँ, पर वोह अब कहीं नही दिखाई देती है, पता नहीं उसका क्या हुआ? बात तो छोटी से हैं पर मन मैं एक कसक सी हैं कि मैंने उसके घर के बारे मैं जानकारी क्यों नही ली, उसके बारे मैं जानने कि उत्सुकता है वोह कहाँ गयी।
गुरुवार, अगस्त 6
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