tag:blogger.com,1999:blog-42353514775559980992024-02-27T12:14:24.385+05:30स्नेह परिवार.. SNEH FAMILYयह सम्पूर्ण विश्व एक बङे परिवार की तरह ही है । इसलिये आईये । हम सब धर्म । जातिपांत । ईर्ष्या । द्वेष । भेदभाव आदि भुलाकर एक हो जायँ । और एक दूसरे के दुख सुख में सहयोगी बने...विनय शर्मा ।Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-4860623598031497812014-03-03T06:15:00.002+05:302014-03-03T06:15:36.283+05:30किसी को भी प्रभावित किया जा सकता है,केवल और केवल अपने व्यवहार से
किसी को भी प्रभावित किया जा सकता है,केवल और केवल अपने व्यवहार से
आज बहुत दिनों के बाद एक बार फिर एक लेख लिख रहा हूँ ,कारण यह है,इसका में साक्षात् अनुभव कर चुका हूँ, अध्यात्म से लगभग ३०,३५ बर्षो से जुड़ा हुआ हूँ, मेरे गुरु जी योगदा सत्संग सोसाइटी के संथापक हैं, स्वामी प्रह्महन्स योगानंद जी,आत्मा के जो विषेश गुण हैं,प्यार,सहनशीलता इत्यादि इनका अनुभव बहुत पहेले करवा चुके हैं,और हम लोगों को Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-83521298200370555932012-10-31T19:42:00.000+05:302013-11-13T21:44:18.400+05:30व्यक्तित्व परिवर्तन
व्यक्तित्व परिवर्तन
माँ क्षमा करना यदि कोई जाने अनजाने में गलती हो जाये,क्योंकि में सत्य घटना पर आधारित कहनी,लिख रहा हूँ ।
 Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-4471639017563865792012-08-01T18:44:00.000+05:302012-08-01T18:44:15.961+05:30प्रभु इश्वर, क्यों करता है मानव की भावना से खिलवाड़ ।
प्रभु इश्वर, क्यों करता है मानव की भावना से खिलवाड़ ।
परमपिता परमात्मा, इन्सान को क्यों दी तूने भावना,और यह भावना ही मन को व्यथित करती है, क्यों रचता है,ऐसे खेल कि मानव हो जाता है,व्यथित,अधिकतर लोग इतने ज्ञानी तो नहीं होते,जो सुख और दुःख में सम रहें,और लोग कह देते है,पूर्वजन्म के कर्म,पर है,इश्वर कौन जनता है,पूर्वजन्म के कर्म,कभी किसी को उसके जीवन साथी को दूर कर देता है,और किसी के जीवन Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-45839065791288729642012-02-11T21:44:00.000+05:302012-02-11T21:44:49.251+05:30प्रेम एक समर्पण बिना किसी शर्त के एक दुसरे को स्वीकार करने का ।प्रेम एक समर्पण बिना किसी शर्त के एक दुसरे को स्वीकार करने का ।
आज कल बातावरण में,प्रेम शब्द गूँज रहा है,वेलनटाइन के नाम से,जो कि प्रेम के ग्रीक देवता का नाम है,मौसम भी धीरे,धीरे सुभावाना होता जा रहा है, इन्ही दिनों कामदेव जो कि हिन्दुओं के काम के देवता हैं,फूलों की सुगंध ने मौसम को खुशनुमा बना दिया है,और हो भी क्यों ना,कामदेव ने अपने तीर से फूलों का वाण जो छोड़ा है, रति और कामदेव की काम Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-36517417383399421352012-02-05T17:07:00.000+05:302012-02-05T17:07:21.215+05:30हिंदी और अंग्रेजी के प्राचीन दोहों तथा कथनों से सदा मार्ग ही प्रशस्त होता है ।हिंदी और अंग्रेजी के प्राचीन दोहों तथा कथनों से सदा मार्ग ही प्रशस्त होता है ।
यदि हमारे मस्तिष्क में, विरोधावासी बाते विचरण कर रहीं हों,और हम कोई भी निर्णय नहीं ले पा रहें हों, तो उस स्थिति में, प्राचीन कथनों की और ध्यान दें,तो हमें प्राय: समस्या का समाधान भी मिल जाता है, जैसे हमारे मन में काम के प्रति आलस्य की भावना ने घर कर लिया हो,तो यह सोच लेने भर से की काम करना हमारा कर्तव्य है,और Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-13943810967109171772012-01-04T20:50:00.001+05:302012-01-04T20:51:49.886+05:30प्रभु इस वर्ष सब के दुःख,दर्द पहचानने की और उनके दुःख दर्द दूर करने की क्षमता दो
प्रभु इस वर्ष सब के दुःख,दर्द पहचानने की और उनके दुःख दर्द दूर करने की क्षमता दो
आज बहुत दिनों के बाद,कुछ समय मिला तो सोचा,गूगल टोक पर अपने परिचितों से,कुछ बात चीत कर लूं,है तो,दो लोग इस प्रकार के मिलें,जिनको कोई,ना कोई दुख था,एक ने तो स्पष्ट बताया,और एक ने बात करते,करतेकुछ कहा,और जब मेने कारण पूछने की चेष्टा करी तो,कुछ न कह कर गूगल टोक से साईंन आउट कर लिया,संभवत: बहुत अधिक Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-45781543682443471332011-11-17T14:16:00.000+05:302011-11-17T14:16:44.231+05:30इस बार के अंतिम के.बी.सी सीजन 4 ने आम आदमी को निश्चित ही प्रोत्सहित किया |इस बार के अंतिम के.बी.सी सीजन 4 ने आम आदमी को निश्चित ही प्रोत्सहित किया
जब भी कार्यों के बीच मैं, समय मिलता है,तो बहुत सी अपनी रुचियों मैं दूरदर्शन देखना भी मेरी एक रुचि है,
ऐसा कुछ विशेष कार्यकर्म दूरदर्शन मैं देखना मेरी रुचि मैं शामिल नहीं हैं, पहले प्रज्ञा चेनल आया करता था,
जिसमें मेरी रुचि थी,लेकिन अब वोह चेनल बंद हो चूका है, अब तो रिमोट पर उंगलिय चलती रहतीं हैं,और चेनल बदलते Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-23985850840254303122011-11-06T21:46:00.000+05:302011-11-06T21:46:45.199+05:30क्या बहुराष्ट्रीय संस्थाओं मैं ऐसा ही होता है |क्या बहुराष्ट्रीय संस्थाओं मैं ऐसा ही होता है |
बहुत दिनों के बाद, यह लेख लिख रहा हूँ,और इस लेख के शीर्षक के समान नहीं सोच पा रहा हूँ, यह मेरे बलोग में लिखूं या इसी स्नेह परिवार में, आज कल मेरा सम्बन्ध एक बहुराष्ट्रीय संस्थासे है,जिसमे मैं कार्यरत हूँ, इस संस्था मैं अनुभव करता हूँ, जो मुल्य आदर्श, हमारी पुरानी पीड़ी के महान व्यक्तियों ने जैसे कि महात्मा गाँधी मुख्यत: ने दिए हैं,Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-74169317931481646442011-03-23T21:06:00.019+05:302011-03-23T21:47:33.497+05:30अक्सर सबको अपनी समस्या दूसरे से बड़ी लगती है |अक्सर सबको अपनी समस्या दूसरे से बड़ी लगती है |
सिख पंथ के प्रथम गुरु श्री नानक जी ने कहा था,"नानक दुखिया सब संसार", यह विश्व भिन्न,भिन्न प्रकार के दुखों से भरा पड़ा है,और इस संसार मैं, सदा सत्य तथ्य ,मृत्यु,असाध्य रोग,और जरा,को छोड़ कर, लोगों के दुखों के अनेकों कारण हैं,परन्तु किसी को अपना दुःख दुसरे से बड़ा लगता है |
और इस संसार मैं,अनेकों महान,व्यक्तिव का अभिर्भाव हुआ था,हुआ है,और होता रहेगा,Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-71255492316405167022011-03-15T21:31:00.000+05:302011-03-15T21:31:20.217+05:30आइये जापान को और विनाश से बचाने के लिए प्रार्थना करेंआइये जापान को और विनाश से बचाने के लिए प्रार्थना करें
आदिम युग से उस परम पिता परमात्मा की सृष्टि के नियम बिना किसी बदलाव के आज तक चलते आ रहें हैं, और भविष्य मैं चलते रहेंगे, या यह भी कहा जा सकता है,जब तक यह सृष्टि रहेगी परमात्मा के नियम वोही रहेंगे,सूर्य देवता सदा पूरब से निकल कर पश्चिम मैं ही अस्त होंगे जैसे की होता आया है,चंद्रमा पश्चिम से निकल कर पूर्व मैं ही अस्त होता आया है,और होता हीVinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-68545768174016640282011-02-04T18:14:00.000+05:302011-02-04T18:14:16.969+05:30परम पिता परमेश्वर एक रास्ते अनेक फिर क्यों विवाद | परम पिता परमेश्वर खुदा,अल्लाह,गोड सभी तो परमात्मा की ओर पहुचने के रास्ते हैं,फिर यह मजहब,धर्म को लेकर विवाद क्यों ?, हिन्दू धर्म में साकार,निराकार,और भिन्न देवी देवता हैं,जिसकी परमात्मा की ओर पहुचने की रूचि है,वोह उसी प्रकार से उस सर्वशक्तिमान की ओर पहुचने के लिए प्र्यतानशील है,हिन्दू धर्म में साकार स्वरूप की भक्ति करने वालों का विवाद निराकार भक्ति करने वालों से श्रेष्ठता को लेकर Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-20882164300285534092010-12-29T18:34:00.000+05:302010-12-29T18:34:42.379+05:30आते हुये दिस्म्बर महिने की अन्तिम तिथी,और मध्य रात्री के बाद नववर्ष का स्वागत ऐसे करें तो कैसा है ?रात्रिकाल का वर्ष के अन्तिम माह की मध्य रात्रि को बुड़ा हुआ वर्ष को नवजात नये वर्ष को सदा के लिये अलविदा कह कर जाता है,और इस आते हुये नववर्ष मनाने के लिये हम लोग सुदूर देशों या अपने ही देश में यात्रा करते है, यदि हम यह सोचे कि बहुत से लोगो का तो समय एक ही स्थान पर जन्म से मृत्यु प्रन्त अपना सम्पुर्ण जीवन बिता देते हैं,उनके लिये तो नववर्ष का कोई मोल नही है,यदि हम लोग उनके होन्ठो पर मुस्कराहटVinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-63146342884345405092010-12-16T19:22:00.000+05:302010-12-16T19:22:37.122+05:30बिहारी जी की शरण में (भाग २)गतांक से आगे
फेसबुक का सिलसिला तो चलता ही रहेगा,अभी मैंने फेसबुक का जो खाता फकीरा.चन्द के नाम से बनाया था,जैसे राजीव जी की मंत्रणा मुझे टिप्पणी के रूप में मिली थी,उस पर विचार करके उस खाते को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है,और उसके बाद भी जो मेरा फेसबुक का खाता vinay532007@gmail.com के नाम से है,इस खाते को तुरंत खोल कर देखा,तो वोही फिशिंग की समस्या,फेसबुक को फकीरा चंद वाले खाते में,यह भी बता दिया हैVinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-69921501053761070072010-12-14T18:01:00.000+05:302010-12-14T18:01:19.984+05:30(प्रथम भाग) बिहारी जी की शरण में |कुछ व्यस्तताओं जैसे, फेसबुक की फिशिंग समस्या के चक्रवात से निकलने का प्रयत्न, जिसको बार,बार सुलझाने का असफल प्रयत्न क्योंकि इस फेसबुक में मेरे 68 मित्र हैं,और फेसबुक कहता है,"There seems some suspicious activity,your account has been temporary suspended due to pishing", इस फिशिंग का अर्थ तो मुझे पहले ज्ञात नहीं था, परन्तु इस महान फेसबुक ने मुझे कोई सहायता तो नहीं दी, परन्तु मुझे इस फिशिंग काVinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-32695258719813820182010-08-05T11:37:00.000+05:302010-08-05T11:37:11.277+05:30सच्चे साधू संत का संसर्ग अवगुणों को गुणों मे परिवर्तित कर देता है |मेरे को इस ब्रह्माण्ड के लौकिक और अलौकिक रहस्यों की जिज्ञासा सदेव रही है, पड़ाई तो विज्ञान की की है, भौतिक शास्त्र, रासयन शास्त्र और कुछ सीमा तक जीव और वनस्पति विज्ञान, स्नातक का अध्यन किया टेकनोलिजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्सटाईल्स भिवानी से मतलब की वस्त्र तकनीक जिसमे थोड़ा यांत्रिक और विद्युतीय ज्ञान भी दिया दिया जाता है, मुख्य उद्दशेय तो वस्त्र तकनीक का होता हैVinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-70042402506498748322010-07-13T21:13:00.000+05:302010-07-13T21:13:38.770+05:30आज कल में श्री राजीव कुलश्रेष्ठ जी के लिखे हुए अध्यात्म के लेखों का अंग्रेजी में अनुवाद कर रहा हूँ |हमारे देश में अध्यात्म भरा पड़ा है, श्री राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ जी ने मेरे इसी ब्लॉग पर मेरी एक पोस्ट पर मेरे से अपने लिखे हुए अध्यात्म के लेखों का हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए पूछा था,और में इस कार्य के लिए सहर्ष तैयार हो गया, वोह फेसबुक पर हैं,और मैंने फेसबुक पर उनकी अच्छी खासी अंग्रेजी देखी है संभवत यह साधू स्वाभाव ही है किसी को वोह कार्य देना जो की साधू कर सकतें हैं,साधू का Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-64467923853800443732010-06-27T16:31:00.000+05:302010-06-27T16:31:43.495+05:30कठिन समय में पड़ोसियों ने भी साथ दिया | कहा जाता है, जो " मित्र कठिन समय में काम आता है,वोही सच्चा मित्र है", यह बात हमारे पड़ोसियों ने भी चरितार्थ करी , मेरी पत्नी की दोनों आँखों में मोतियाबिंद हो गया था, और मेरी पत्नी गाजियाबाद के एक स्कूल में पढाती है, उसके आँखों के मोतियाबंद का पता उस स्कूल की सालाना गर्मियों की छुट्टी होने से कुछ ही दिन पहले पता चला था, डाक्टर साहब को दिखाया था,तो डाक्टर साहब बोले इसका, "ओपरेशन Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-14837778671743528912010-06-14T21:22:00.000+05:302010-06-14T21:22:51.647+05:30किसी की बात सुन कर उसको भावनात्मक सुख दिया जा सकता है |सुख प्राय: तीन प्रकार के होतें है, शारीरिक,मानसिक और आत्मिक और भावनातमक, भावनात्मक सुख ही आत्मिक सुख है, प्राय: लोग किसी के शारीरिक कष्ट में व्यक्ति विशेष का साथ देते हैं,और उसकी सहायता करते हैं, और इस प्रकार से उस व्यक्ति विशेष को शारीरिक सुख अधिक, और उससे कम मानसिक सुख मिलता है, और उसी व्यक्ति के लिए जैसे आज कल प्रचलन है, अगर कोई बीमार है,उसके लिए फूलों का गुलदस्ता या फल इत्यादी लेकर जातेVinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-22103493323869876972010-06-04T21:06:00.002+05:302010-06-09T15:05:56.173+05:30किसी का अन्तकरण भी बदला जा सकता है |इस लेख का प्रारम्भ तुलसीदास जी के रामायण ग्रन्थ की इन पंक्तियों से आरंभ कर रहा हूँ, " उपदेश कुशल बहुतेरे", किसी के अन्तकरण पर अगर प्रभाव डालना है,तो केवल उपदेश देने से कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है, इस सन्दर्भ में मुझे किसी के द्वारा रचित एक कहानी याद आ रही है |
इस सन्दर्भ में एक किसी के द्वारा लिखी हुई एक कहानी मेरे मानस पटल पर उभर रही है,एक कलाकार ने एक चित्र बनाया और रात्रि Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-72964506879639245572010-04-15T19:51:00.000+05:302010-04-15T19:51:11.774+05:30एक फिसिओथरेपी के डाक्टर ने प्रभाबित किया |व्यस्तता के कारण ना तो कोई पोस्ट लिख पाया और ना ही पड़ पाया,एक तो दैनिक कार्य और पत्नी की फिस्योथरेपी के कारण उसको फिसियोथरेपी के लिए ले जाना, और उसके फिसियोथेरपी के व्यायाम कराना, के कारण समय का अभाव सा बन गया था,अक्सर मेरे मस्तिष्क में हमारे समाज के करणाधारों के बारे में विचार आते हैं,जैसे शिक्षक जो हमें ऊँगली पकड़ कर हिंदी की वर्णमाला और अंग्रेजी की वर्णमाला का ज्ञान कराते Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-64904531429598604802010-03-28T19:12:00.000+05:302010-03-28T19:12:08.347+05:30अगर कुछ अच्छा करने की चाहत है,तो छोटी,छोटी खुशियाँ देने से प्रारम्भ करें |,यह लेख पूज्य श्री विवेकानंद के इस कथन से प्रारंभ कर रहा हूँ, "अपने आस पास देखो कौन दुखी है, उसकी सेवा करना ही प्रभु भक्ति है",कुछ दिनों पहले मैंने www.vinay-mereblog.blogspot.com पर अपनी सौंवी पोस्ट होने पर लिखा था, यह मेरी शतकीय पोस्ट है, इस प्रकार शतकीय पोस्ट बनाने से अच्छे बहुत से लोग हमारे इस ब्लॉगर पर वन्दनीय कार्य कर रहें है |
कल रात्रि में अलका जी मेरा समस्त लिखने वालीं से चैटिंग कर रहा Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-32844878033377026182010-02-24T18:25:00.020+05:302010-02-24T18:43:40.766+05:30लो आने वाला ही है,होली का पर्व |हमारे देश की संस्कृति बहुरंगी है, वैसे तो इस भारत देश में,अनेकों पर्व मनाये जाते हैं, लोहड़ी,वैसाखी,खिचड़ी,करवाचौथ, ईद,क्रिसमस इस्टर,गुड फ्राईडे गंगा नाहन,बट अमावस्या,गुरु पूर्णिमा,गुरु नानक देव का जन्मदिन,गुरु गोविन्दसिंह का जन्मदिन,प्रकाशौत्सव,ओणम,मकर संक्रांति और भी बहुत सारे तीज,त्यौहार, सभी धर्मो हिन्दू,मुस्लिम,सिख,इसाईओं के त्यौहार, यह है सभी धर्मो के मिलुजुले बहुरंगी रंगों से Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-42755788478431193082010-01-12T19:27:00.054+05:302010-01-12T20:46:37.727+05:30नववर्ष का पहला त्यौहार लोहड़ी
Free Comments Graphics अभी,अभी साल 2009 समय की गर्त में चला गया था,और नववर्ष का जन्म हुआ था,यह तो था,अंग्रेजी कलेंडर के हिसाब से था, परन्तु हिंदी कलेंडर के अनुसार साल लोहड़ी से नववर्ष का आगमन हुआ है, चारो ओर ढोल की आवाजें,अग्नि जला कर उसमें पोपकोर्न,मूंगफलियाँ,रेवरी डालना और और भेंट स्वरुप उपहार के तोर पर देना,सब और खुशियों का वातावरण, मेरी तो कामना है,इस प्रकार का वातावरण हर वर्षVinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-50222660485867235612010-01-06T19:30:00.000+05:302010-01-06T19:30:19.065+05:30इस लड़की ने मन को छु लिया |कुछ दिन पहले मैंने अपने यहाँ काम करने वाली लड़की जिसके माँ बाप,उस लड़की के लिए उपयुक्त वर खोजने के लिए अपने गाँव बिहार में स्थित भावनिपुर गाँव में गएँ हुए हैं, वोह लड़की एक महीने से हमारे घर में रह रही है, और कल संभवत: इस कन्या के माँ बाप आ जायेंगे और यह कन्या अपने घर चली जायगी, तन की तो साधारण है, घेऊआं रंग और तीखे नैन नकशे वाली यह बालिका है,परन्तु सुंदर मन की तो असाधारण स्वामी है, Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4235351477555998099.post-27497885529683424762010-01-06T13:07:00.000+05:302010-01-06T13:07:35.712+05:30नववर्ष हर किसी के लिए सुख,समृधि लाये |देखते,देखते वर्ष 2010 अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ गया, और पुराना वर्ष 2009 समय की गर्त में चला गया, इस वर्ष के जन्म के समय बधाइयाँ,शुभकामनाये,मंगल कामनाये और और मस्ती का समय था, और मेरी एसी कामना है,यह सब इस वर्ष से लेकर हर वर्ष तक रहे, ना कहीं आतंकवाद के मासूम लोगों की जान लेने वाले धामके हों, ना ही कहीं सवाइन फ्लू जैसी और भी किसी प्रकार की महामारी जगत में व्याप्त ना हो,ना कहीं पराकरतिक&Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.com1