कुछ दिन पहले मैंने अपने यहाँ काम करने वाली लड़की जिसके माँ बाप,उस लड़की के लिए उपयुक्त वर खोजने के लिए अपने गाँव बिहार में स्थित भावनिपुर गाँव में गएँ हुए हैं, वोह लड़की एक महीने से हमारे घर में रह रही है, और कल संभवत: इस कन्या के माँ बाप आ जायेंगे और यह कन्या अपने घर चली जायगी, तन की तो साधारण है, घेऊआं रंग और तीखे नैन नकशे वाली यह बालिका है,परन्तु सुंदर मन की तो असाधारण स्वामी है, पहनने ओरने, बात चीत के तरीके से हाव भाव से किसी भी संभ्रांत घर की लड़की लगती है, जब भी मेरे साथ किसी के पास जाती है, यदा कदा लोग पूछ बैठते हैं,क्या यह आपकी लड़की है, मेरे मुख से गर्व के साथ हाँ निकलता है, इसकी उस लेख में एक विशेषता नहीं लिखी थी वोह यह कि थोड़ी बहुत अंग्रेजी पड़ने के साथ यह अंग्रेजी पड़ भी लेती है, एक माह यह हमारी बेटी के घर पर हमारे नाती के जन्म से पहले से लेकर एक साल तक उसके घर पर रही थी, हमारी बेटी इसको छोटी बहिन समझती है,और उसका बेटा इसको मौसी कहता है, इस लड़की ने सब का मन अपनी निस्वार्थ सेवा, सबका खायल रखने से मोह लिया है, घर का काम तो इसको कहने की आवश्यकता ही नहीं, अपने आप घर के काम करती रहती है और कोई नया काम आ जाता है,अपने आप उस काम को सम्भाल लेती है|
जब यह हमारी बेटी के पास रही थी, इसने इस हमारे नाती के जन्म से पहले उसके एक साल तक उसके घर के काम के साथ,हमारी बेटी और नाती को इस प्रकार संभाला कि कोई परिचारिका क्या संभालेगी?
अब तो हमारा नाती चार वर्ष का होने जा रहा है,और नातिन का भी जन्म हो चुका है, जब भी हमारे बेटी दामाद घर पर आतें हैं,और इसको उनका आने का पता चल जाता है,तो यह हमारे नाती के लिए बड़ी सी चोकलेट लेकर आती है, हमारी बेटी जब कहती है, शीला तु इसके दांत ख़राब कर देगी, तो यह अधिकार से कहती है,"बोबू मेरा भी तो कुछ लगता है,यह आपके ऊपर है,आप इसको कितनी चोकलेट दो |"
एक बार मेरी पत्नी को अपनी स्कूल की पुस्तकों के कुछ पृष्ठ फोटोस्टेट करवाने थे,तो शीला मेरे साथ गयी और उस समय बिजली ना होने के कारण,में वोह पुस्तकें उस फोटोस्टेट वाले के पास छोड़ आया क्योंकि वोह मेरा परिचित था, यह लड़की भी मेरे साथ वापिस आ गयी, फोटोस्टेट वाले ने कुछ समय दिया था, और उसके निर्धारित समय पर जब में उसके पास जाने लगा तो यह मेरे साथ चल दी, उस फोटोस्टेट वाले ने पृष्ठ फोटोस्टेट कर दिए,और इसका अंग्रेजी पड़ने का ज्ञान उस समय काम आया,इसने सब पृष्ठों को चेक किया, परन्तु एक पृष्ठ रह गया था, यह बोली अंकल आपने "यह पेज तो फोटोस्टेट नहीं किया"
मैंने उस फोटोस्टेट वाले से पेज गिन कर "पूछा कितने पैसे हुए ?|" उस समय यह उस दूकान से बहार देख रही थी, मैंने पूछा "क्या हुआ ?", तो इसने सब पृष्ट गिने फिर बोली इतने पैसे हुए और उस समय मुझे लगा की में पैसे लाना भूल गया जब मैंने यह बात कही तो यह बोली की "पैसे में दे देती हूँ " लेकिन ऐसा हुआ नहीं पर्स मेरे पास था और मैंने पैसे दे दिए थे ,इसकी कर्तव्यप्रायणता देख कर में अवाक् रह गया |
दूसरी घटना जो इसकी जो बुधिमत्ता है, उसका वर्णन कर रहा हूँ, एक बार मुझे अपनी दीवार घड़ी ठीक कराने के लिए ले जानी थी, घड़ी बड़ी होने के कारण में उसको स्कूटर पर ले जाने के लिए असमर्थ था,मेरी पत्नी ने इसको मेरे साथ भेज दिया तो यह मेरे स्कूटर के पीछे घड़ी पकड़ कर बैठ गयी और हम लोग पहुँच गये घड़ी साज के पास,घड़ी तो ठीक हो गयी थी,पर घर लौटते में सेकंड की सुई ढीली होने के कारण गिर गयी थी, यह बोली "सेकंड की सुई तो गिर गयी", तो में बोला चलो उस घड़ी साज के पास और घड़ी साज के पास चल दिए, इसने घड़ी साज की दूकान से कुछ दूरी पर ही देख लिया था, कि सेकंड की सुई गिर गयी है, तो यह तो स्कूटर पर से उतर गयी और अपने मोबाइल जिसको इसने स्वयं अपनी कमाई से ख़रीदा है, उसकी टोर्च की रौशनी में वोह सुई खोज लायी,और घड़ी साज से वोह सुई लगवा ली |
एक बार हम चाट वाले से टिक्की और पानी के बताशे (गोल गप्पे) लेने गए, घर तो यह चाट का सामान ले आये,परन्तु पानी के बताशों के लिए पानी डालते समय इसके हाथ से वोह पानी गिर गया, यह बोली "पानी तो गिर गया", मेरी पत्नी बोली जितना "पानी है,उसके तीन भाग कर के खांएंगे", तो यह बोली में अपने भाई को फ़ोन कर देतीं हूँ "वोह पानी ले आएगा", मेरी पत्नी ने कहा कोई "जरूरत नहीं है",और कहा "पानी के बताशे ले आ",तो यह पानी के दो भाग कर के ले आई परन्तु,अपने लिए गिलास में सादा पानी ले आई,मेरी पत्नी ने कहा दिखा अपना पानी तब इसकी मासूम चोरी पकड़ी गयी, उस चाट वाले से हम अक्सर चाट ले जातें हैं, चाट ले कर में वोह सामान अपने स्कूटर में रखने लगा तो यह बोली, "अंकल इसके पैसे दो दे दीजिये",चाट वाला बोला पहले सामान रख लो पैसे बाद में दे देना, तो यह मधुर स्वर बोली," आपने सामान ले लिया है ,तो तुरंत पैसे दीजिएय", में सोचने लगा इसका इसके घर वालों ने इसका नाम बुलबुल रखा है, वाकई में यथार्थ चित्रण है |
इसकी बुद्धि की परिवाक्त्ता इतनी है, इसके घर में इसके दो भाई हैं, उन्होंने खाना बनाने का सब सामान समाप्त कर दिया,और उनके पास केवल साठ रुपये थे,उसका चिकन ले आये,और फिर इसको फ़ोन करतें हैं,सब खाने बनाने का सामान और पैसे समाप्त हो गयें है,पहले यह एक मुखिया के सामान बोली,"तो में क्या करुँ ?", फिर कुछ सोचअपनी स्वयं खरीदी हुई साइकिल पर गयी, और खाना बनाने का सामान बाजार से खरीद के घर पर रख आई,और उसके बाद इसके घर से इस प्रकार की कोई शिकायत नहीं आई |
इस प्रकार की कन्या का विवाहित जीवन अन्धकार मय ना हो, इसके लिए मेरे मन से बहुत,बहुत आशीष निकलती है,और
इसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ |