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रविवार, मार्च 28

अगर कुछ अच्छा करने की चाहत है,तो छोटी,छोटी खुशियाँ देने से प्रारम्भ करें |

,यह लेख पूज्य श्री विवेकानंद के इस कथन से प्रारंभ कर रहा हूँ, "अपने आस पास देखो कौन दुखी है, उसकी सेवा करना ही प्रभु भक्ति है",कुछ दिनों पहले मैंने www.vinay-mereblog.blogspot.com पर अपनी सौंवी पोस्ट होने पर लिखा था, यह मेरी शतकीय पोस्ट है, इस प्रकार शतकीय पोस्ट बनाने से अच्छे बहुत से लोग हमारे इस ब्लॉगर पर वन्दनीय कार्य कर रहें है |
कल रात्रि में अलका जी मेरा समस्त लिखने वालीं से चैटिंग कर रहा था, उनकी पोस्टों में देसी जड़ी बुटीओं से इलाज के बारे में वर्णन होता 
है, इसके उपयोग से कितने ही रोगीओं को आराम मिला है, मेरी पत्नी की दोनों आँखों में मोतियाबिंद हो गया है,और उनके एक लेख में मैंने उनसे मोतियाबिंद के इलाज के बारे में पूछा था,तो उन्होंने मेरी शतकीय पोस्ट पर टिप्पणी दी है,जिसमें मोतियाबिंद का इलाज लिखा है, मैंने उनसे आज दूरभाष पर बात करके पूछा था,तब उन्होंने बताया आप की शतकीय पोस्ट पर उसका इलाज लिखा है,जो कि बहुत ही सरल चिकत्सा है,इस चिकत्सा का और रोगी लाभ उठा सकतें है, क्या यह ख़ुशी देना ईश्वरीय सेवा से कम है?
दूसरा  नाम लेता हूँ, सबके हितेषी पाबला जी का, उन्होंने हम सब ब्लोगरो के जन्म दिन और वैवाहिक वर्षगांठ का लेखा जोखा रखा हुआ है,
 यह औरो को ख़ुशी देने का काम क्या किसी आराधना से कम है क्या? यारो के यार पावला जी बहुत अच्छा तकनिकी ज्ञान रखते हैं, कुछ समय पहले मेरे इसी www.snehparivar.com ब्लॉग में,एक कठिनाई आ गयी थी,में जो भी इस ब्लॉग में लेख लिखता उसका परतिरूप भी बन जाता था, मतलब उस पोस्ट का इसी ब्लॉग में लिंक बन जाता था, और मैंने अपने इसी ब्लॉग में लिखा था,कोई मेरी सहायता कर सकता है,पावला जी कि संभवत: उसी पोस्ट पर पड़ी और उन्होंने मेरी वोह समस्या दूर कर दी,दूसरी समस्या यह है,कि में अपनी पोस्ट का लिंक किसी और को नहीं दे पाता हूँ उसको भी पावला जी ने चेक तो किया था,और वोह वोले लिंक तो बन रहा है, यही तो छोटी,छोटी खुशियाँ है |
 तीसरा नाम लेता हूँ शमा जी का, उन्होंने एक बार अपनी टिप्पणी में लिखा था, में संस्मरण में आपके लिए लिखतीं हूँ,क्योंकि आप पड़ते हैं, इस प्रकार अपनत्व की भावना उत्पन्न होती है, वोह तो बहुत सी कला की धनी है, परन्तु इस प्रकार किसी को ख़ुशी देना क्या किसी से कम है क्या?
अब लेता हूँ नाम समीर लाला जी यानि की  उड़न तश्तरी जी का वोह तो, सभी लिखने वालों को टिप्पणी दे कर लिखने का प्रोत्साहन देते हैं, यह इंसान की सच्ची सेवा नहीं तो और क्या है?
 अगर किसी को ज्योतिष के बारे में रुचि हैं तो संगीता जी और पंडित डी.के वत्स जी तो इसमें अग्रणी हैं, और पंडित जी को तो हमारे आदिग्रंथो का अच्छा ज्ञान है,और वोह हम सबको इस ज्ञान से अवगत करते हैं |
 आशीष खंडेलवाल हम लोगों को नयी,नयी तकनिकी जानकारी देते हैं,क्या यह किसी सेवा से कम है?
  यह लोग तो विवेकानंद जी के इस कथन का सच्चा मान नहीं रख रहें तो क्या है?
यह तो रहा उन ब्लोग्गोरो के बारें में जिनको हम सब लोग जानते है |
  हम सब लोगों के सामने,कितने ही लोग हैं,जिनको किसी ने किसी साहरे की आवयश्कता है, आपकी काम वाली,बच्चों को स्कूल ले जाने वाला रिक्शा वाला,बस ड्राईवर या ऑटो चालक बहुत से ऐसे लोग होंगे आप के आसपास जिनको आप लाभ दे सकतें हैं |
 हमारे घर के सामने थोड़ी सी चढाई है, कल मैंने देखा एक आइसक्रीम का ठेले वाला उस चढाई पर जा रहा था और एक हमारे जान पहचान का रिक्शा वाला उसको उस चढाई को पार कराने के लिए स्वयं भी उसके ठेले को धक्का दे रहा था |
 अगर इंसान की सेवा करनी है,तो बड़ी,बड़ी संस्थओ से जुड़ना या लाखों करोडो का चंदा देने की सोचने की आवश्यकता ही नहीं है, आपके आस पास आपके जाने पहचाने बहुत से लोग मिल जायेंगे जिनको कुछ,कुछ ना आवश्यकता है, और ऐसे भी लोग मिल जायंगे जिनको किसी ना किसी प्रकार की मदद की वास्तव में ही आवश्यकता है,जैसे मैंने एक रिक्शा वाले और आइसक्रीम वाले का उदहारण दिया है |
बस अंत मे यही कहूँगा परहित सम सुख नहीं |

लेबल

अभी तो एक प्रश्न चिन्ह ही छोड़ा है ? (1) आत्मा अंश जीव अविनाशी (1) इन्ही त्योहारों के सामान सब मिल जुल कर रहें (1) इश्वर से इस वर्ष की प्रार्थना (1) इसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ | (1) उस अविनाशी ईश्वर का स्वरुप है | (1) एक आशियाना जिन्दगी का (1) कब बदलोगे अपनी सोच समाज के लोगों ? (1) कहाँ गया विश्व बंधुत्व और सदभावना? (1) कहीं इस कन्या का विवाहित जीवन अंधकार मय ना हो | (1) किसी का अन्तकरण भी बदला जा सकता है (1) किसी की बात सुन कर उसको भावनात्मक सुख दिया जा सकता है | (1) कैसे होगा इस समस्या का समाधान? (1) चाहता हूँ इसके बाद वोह स्वस्थ रहे और ऑपेरशन की अवयाक्ष्ता ना पड़े | (1) जय गुरु देव की (1) जीत लो किसी का भी हिर्दय स्नेह और अपनेपन (1) डाक्टर साहब का समर्पण (1) पड़ोसियों ने साथ दिया (1) बच्चो में किसी प्रकार का फोविया ना होने दें (1) बस अंत मे यही कहूँगा परहित सम सुख नहीं | (1) बुरा ना मानो होली है | (1) मानवता को समर्पित एक लेख (1) मित्रों प्रेम कोई वासना नहीं है (1) में तो यही कहता हूँ (1) यह एक उपासना है । (1) राधे (2) राधे | (2) वाह प्रभु तेरी विचत्र लीला (1) वोह ना जाने कहाँ गयी (1) शमादान भी एक प्रकार का दान है | (1) सब का नववर्ष सब प्रकार की खुशियाँ देने वाला हो | (1) समांहुयिक प्रार्थना मैं बहुत बल है | (1)