काम के कारण मुझे नई,नई मशीनों के बारें में अध्यन करना पड़ा,और देश विदेश में मशीनों से सम्बंधित कार्यों के कारण भ्रमण करना पड़ा, और सरकारी तथा गैर सरकारी कार्यप्रणाली को समझना पड़ा क्योंकि यह संसथान चलाने के लिए आवशयक था, संभवत: इसी कारण जीवन के 56 बसंत देखने के बाद भी नई,नई जानकारी लेने की जिज्ञासा बनी रहती है,और इस 6 अगस्त को 57 वें बसंत का प्रारंभ हो जायेगा,और में भी उन लोगों की कतार में हूँ, जो मानते हैं आयु तो मात्र एक संख्या है, और इसी कारण मैंने अपने 50 वर्ष की आयु में,कम्पुटर सॉफ्टवेर सीखा |
यह तो सब रहा वैज्ञानिक ज्ञान के बारें में, अध्यातम के बारे में जानने की ललक तो प्रारम्भ से ही थी, इस कारण मैंने, अनेकों धार्मिक,अध्यात्मिक पुस्तकों का अध्यन किया,बहुत से सिद्ध और साधारण मंदिरों,गुर्ददवारों,चर्चों में भी गया, बहुत से धर्मगुरु,पंडितो,संतो, सड़क के और दूसरे प्रकार के साधुओं तथा ,तांत्रिकों से मिला बस ओझाओं को छोड़ कर, इस कारण बहुत से कड़वे,मीठे अनुभव भी हुए, एक तांत्रिक मुझे ऐसा मिला,जो प्रारम्भ में तो मेरे मन को भा गया,परन्तु उतरोतर मुझे उसके असली रूप का क्रमश : पता चलता गया,उसको लोग गुरु जी कहते थे,और वोह हमारी कोलोनी के एक मंदिर में,हर रविवार को भैरो का दरबार लगाते थे, तथा मंगलवार को हनुमान जी का चोला चडाते थे, और उसके लिए उसको गुरु जी कहने वाले में समदर्शिता नहीं थी और में भी समदर्शिता नहीं वाले की श्रेणी में आता था , क्यों पड़ा उसके चक्कर में यह कभी बाद में लिखूंगा, और एक बार मैंने उनसे कुछ प्रश्न किया,और उसने मुझे ऐसा फटकारा की में तो चार दिन लगातार सो ही नहीं पाया, और विक्षिप्त अवस्था में पहुँच गया, इससे पहले माँ अम्बे का ध्यान किया करता था, किसी समय मैंने योगदा सत्संग सोसाइटी की सदयस्ता ली थी,इस कारण परमहंस योगानंद जी के जीवनउपयोगी एक अध्याय हर माह आता था,और में उसके अनुसार जीवन का अनुसरण करता था, लेकिन उस फटकार के कारण में विक्षिप्त अवस्था में पहुँच गया था,ना माँ अम्बे का ध्यान,ना योगानंद जी अध्याओं के अनुसार जीवन का अनुसरण,ना नहाना ना वस्त्रों का ध्यान ऐसी अवस्था थी वोह |
बहुत से मनोचिक्त्सक को दिखाया कोई विशेष लाभ नहीं मिला,और यह मुझे ज्ञात नहीं कैसे संभला और माँ अम्बे का ध्यान करने लगा और जैसे एक आम इन्सान को जीवन बिताना चाहिए वैसे विताने लगा |
रुचि तो अध्यातम और रहस्यों को जानने में सदा ही रही है,और नेट पर राजीव जी जो साधू जीवन व्यतीत कर रहें हैं,उनके आजकल में लेखों का,हिंदी से अंगेरजी अनुवाद कर रहा हूँ, उनके एक लेख काली चिड़िया का रहस्य पर मैंने एक टिप्पणी दी थी,और राजीव जी मेरी टिप्पणी का आशय समझ गये,और उसके वाद उन्होंने मेरे से उनके लेखों का अंगेरजी अनुवाद करने को कहा, और जो में www.spiritualismfromindia.blogspot.com में कर रहा हूँ, और उनसे मेरी जिज्ञासा शांत हो रही है, आयु में तो मुझ से बहुत छोटे हैं, लेकिन में जानकारी के बारें में छोटे,बड़े में भेदभाव नहीं करता, यह आवश्यक नहीं जिसका ज्ञान मुझे नहीं हैं,उसका ज्ञान मेरे से छोटे में ना हो,और उनके मार्गदर्शन के कारण,मेरे मन पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ रहा है,उन्होंने फ़ोन पर अपने गुरु जी से भी बात करवाई है,उनसे तो फ़ोन पर यदा,कदा बात होती है,और साधू का अर्थ में सज्जनता भी है, जब भी में उनको फोन करता हूँ,वोह मेरा फोन काट कर स्वयं फोन करते है, और जो छोटी,छोटी बातें जैसे,अचानक बिजली का चले जाना,नेट से संपर्क टूट जाना,जाम में फँस जाना,जिनपर में झल्ला जाता था, अब राजीव जी के मार्गदर्शन के कारण शांत और सयंत रहता हूँ |
इसके अतिरिक्त निर्भीकता भी आ गयी है, कुछ एक बार मुझे अपने विवादित लेखों पर,व्यंगात्मक टिप्पणियाँ और उन बातों पर जो मैंने स्वयं देखा है,और उस पर लिखा है,और मुझे टिप्पणियाँ ऐसे सदस्यों से मिली हैं,जिन्होंने मेरी बातों का पुष्टिकरण किये विना ,अपने व्यक्तित्व के अनुसार टिप्पणियाँ दीं हैं, एक दो मनोवेग्यानिक से संपर्क में रहने के कारण, उनके दी हुईं टिप्पणियों में उनका व्यक्तिव कुछ अंश तक में,पहचान सकता हूँ, पहले इस प्रकार की व्यंगात्मक टिप्पणियों के कारण मुझे दुःख होता था, परन्तु अब कोई असर नहीं होता है, यह भी राजीव जी के मार्गदर्शन के कारण ही है, और इसी माह की 7 तारीख को मेरा हर्निया का ओपरेशन हैं, जीवन में कोई ओपरेशन नहीं हुआ है,परन्तु इस सबसे छोटे ओपरेशन के कारण मुझे भय लग रहा था, और अब वोह कम होता जा रहा है,यह भी राजीव जी के कारण,और जिन लोगों ने मेरे से सहानभूति जताई,उनका आभार प्रकट करता हूँ |
ओपरेशन के बाद जो लेख लिखने के लिए राजीव जी ने कहा है,वोह लिखूंगा,और इस को जय गुरु देव की कह कर समाप्त करता
हूँ |
जय गुरु देव की
बहुत से मनोचिक्त्सक को दिखाया कोई विशेष लाभ नहीं मिला,और यह मुझे ज्ञात नहीं कैसे संभला और माँ अम्बे का ध्यान करने लगा और जैसे एक आम इन्सान को जीवन बिताना चाहिए वैसे विताने लगा |
रुचि तो अध्यातम और रहस्यों को जानने में सदा ही रही है,और नेट पर राजीव जी जो साधू जीवन व्यतीत कर रहें हैं,उनके आजकल में लेखों का,हिंदी से अंगेरजी अनुवाद कर रहा हूँ, उनके एक लेख काली चिड़िया का रहस्य पर मैंने एक टिप्पणी दी थी,और राजीव जी मेरी टिप्पणी का आशय समझ गये,और उसके वाद उन्होंने मेरे से उनके लेखों का अंगेरजी अनुवाद करने को कहा, और जो में www.spiritualismfromindia.blogspot.com में कर रहा हूँ, और उनसे मेरी जिज्ञासा शांत हो रही है, आयु में तो मुझ से बहुत छोटे हैं, लेकिन में जानकारी के बारें में छोटे,बड़े में भेदभाव नहीं करता, यह आवश्यक नहीं जिसका ज्ञान मुझे नहीं हैं,उसका ज्ञान मेरे से छोटे में ना हो,और उनके मार्गदर्शन के कारण,मेरे मन पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ रहा है,उन्होंने फ़ोन पर अपने गुरु जी से भी बात करवाई है,उनसे तो फ़ोन पर यदा,कदा बात होती है,और साधू का अर्थ में सज्जनता भी है, जब भी में उनको फोन करता हूँ,वोह मेरा फोन काट कर स्वयं फोन करते है, और जो छोटी,छोटी बातें जैसे,अचानक बिजली का चले जाना,नेट से संपर्क टूट जाना,जाम में फँस जाना,जिनपर में झल्ला जाता था, अब राजीव जी के मार्गदर्शन के कारण शांत और सयंत रहता हूँ |
इसके अतिरिक्त निर्भीकता भी आ गयी है, कुछ एक बार मुझे अपने विवादित लेखों पर,व्यंगात्मक टिप्पणियाँ और उन बातों पर जो मैंने स्वयं देखा है,और उस पर लिखा है,और मुझे टिप्पणियाँ ऐसे सदस्यों से मिली हैं,जिन्होंने मेरी बातों का पुष्टिकरण किये विना ,अपने व्यक्तित्व के अनुसार टिप्पणियाँ दीं हैं, एक दो मनोवेग्यानिक से संपर्क में रहने के कारण, उनके दी हुईं टिप्पणियों में उनका व्यक्तिव कुछ अंश तक में,पहचान सकता हूँ, पहले इस प्रकार की व्यंगात्मक टिप्पणियों के कारण मुझे दुःख होता था, परन्तु अब कोई असर नहीं होता है, यह भी राजीव जी के मार्गदर्शन के कारण ही है, और इसी माह की 7 तारीख को मेरा हर्निया का ओपरेशन हैं, जीवन में कोई ओपरेशन नहीं हुआ है,परन्तु इस सबसे छोटे ओपरेशन के कारण मुझे भय लग रहा था, और अब वोह कम होता जा रहा है,यह भी राजीव जी के कारण,और जिन लोगों ने मेरे से सहानभूति जताई,उनका आभार प्रकट करता हूँ |
ओपरेशन के बाद जो लेख लिखने के लिए राजीव जी ने कहा है,वोह लिखूंगा,और इस को जय गुरु देव की कह कर समाप्त करता
हूँ |
जय गुरु देव की