हमारे देश में अध्यात्म भरा पड़ा है, श्री राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ जी ने मेरे इसी ब्लॉग पर मेरी एक पोस्ट पर मेरे से अपने लिखे हुए अध्यात्म के लेखों का हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए पूछा था,और में इस कार्य के लिए सहर्ष तैयार हो गया, वोह फेसबुक पर हैं,और मैंने फेसबुक पर उनकी अच्छी खासी अंग्रेजी देखी है संभवत यह साधू स्वाभाव ही है किसी को वोह कार्य देना जो की साधू कर सकतें हैं,साधू का शाब्दिक अर्थ ही सज्जन है बहुत से अध्यात्म के शब्दों का में अंग्रेजी में अनुवाद करने में सक्षम नहीं हूँ,परन्तु प्रयत्न तो कर ही सकता हूँ, और उन्होंने इसमें त्र्यम्बक जी और निनाद जी को इस ब्लॉग www.swpiritualismfromindia.blogspot.कॉम पर लिखने की अनुमति के लिए कहा था,जो मैंने दे दी है, त्र्यम्बक जी नुयोओर्क में सॉफ्टवेर इंजिनियर हैं, और राजीव जी ने बताया था वोह भी अध्यात्म पर लिखतें हैं,में तो अध्यात्म के विशाल सागर में एक छोटी सी बूँद के समान हूँ, मेरी छोटी साली ने अमरीका से इमुनोलोजी में डॉक्टरएट करी है, और वोह जब अमरीका में पड़ रही थी,तो वोह भी अध्यात्म की बहुत सी सामग्री हमारे इस देश से ले जाती थी,में कोई प्रचार नहीं कर रहा हूँ,और ना ही किसी पर किसी प्रकार का दवाब हैं, आज कल बिजली की आंख मिचोली के कारण अभी तक राजीव जी की दो पोस्टों का ही अंग्रेजी में अनुवाद कर पाया हूँ, हाँ आप माने या ना माने बहुत बार मेरी अंग्रेजी की स्पेलिंग में गलती एक बार होती हैं,और जब पुन: में सोचता हूँ स्पेलिंग यह होनी चाहिये और में लिख देता हूँ तो सही पाता हूँ,फिर भी संभवत: कहीं ना कहीं स्पेलिंग में त्रुटी रह जाती होगी |
यह लिखते समय मुझे स्मरण हो रहा है, श्री रामकृष्ण परमहंस कोई विशेषपड़े लिखे नहीं थे,परन्तु उनको किसी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थीजो की रामकृष्ण परमहंस को इस प्रकार के शिष्य विवेकाननद जी के रूप में मिले,जिनोहने विश्व में रामकृष्ण परमहंस जी की शिक्षा का प्रचार,प्रसार किया था |
इसी प्रकार अगर जिन्होंने ने परमहंस योगानंद द्वारा लिखी हुई पुस्तक योगी अमृत्कथा पड़ी हो तो उनको ज्ञात होगा की,विश्व में परमहंस योगानंद जी ने हमारे यहाँ के अध्यातम का विश्व में प्रचार किया था, योगानंद जी ने तो मानव जीवन के परतेक पहलुयों का बारे में प्रचार किया था |
अधिकतर लोग समझते हैं,की पश्चिमीं देशों में भोतिक्वाद हैं,और सच भी हैं,वहाँ भोतिक्वाद की अधिकता है,परन्तु ऐसे लोग भी हैं,जो भारत के अध्यात्म के बारें में समझना और अपनाना भी चाहते हैं, इस्कोन मंदिर तो इस बात के जीवंत उदहारण हैं, हाँ बहुधा पश्चमी लोग यहाँ आकर के सही मार्गदर्शन के अभाव में भटक भी जातें हैं,जैसे कि सन 1970 के दशक में,हिप्पियों का युग आया था,नशे,सेक्स को ही यहाँ का अध्यात्म समझने लगे, तरह,तरह की नशे करते थे,तरह,तरह की नशे की गोलियां लेते थे,और इन्ही भोग विलास को अध्यात्म समझते थे|
बस मेरा कहना येही हैं,अगर कोई विदेशी भाई,बहिन जो आप लोगों के संपर्क में हो ,हमारे देश का अध्यात्म समझना या अपनाना चाहे तो,राजीव जी के लिखे हुए लेखों का मेरे द्वारा किया हुआ अंग्रेजी अनुवाद पड़ सकता है |
सभी धर्म चाहे,सिख,हिन्दू,मुस्लिम,बोध,जैन,इत्यादि अच्छी,अच्छी बात ही सिखाते हैं,उनका आदान,प्रदान भी किया जा सकता है |
बस इस लेख को भारतीय हिन्दू अध्यात्म के अनुसार जय,जय श्री गुरुदेव जैसे वाक्य से समाप्त करता हूँ |
क्योंकि यह हिन्दू अध्यात्म पर आधारित है,इसलिए जय गुरुदेव जैसे वाक्य से समापन कर रहा हूँ, वाकी सब धर्मो के लिए मेरे
माँ में सम्मान है |
जय गुरुदेव की
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1 टिप्पणी:
सच्चे साधू संत का संसर्ग अवगुणों को गुणों मे परिवर्तित कर देता है | सत्य वचन जी, लेकिन सिर्फ़ सच्चे साधूयो का संग, ओर जो आज मिलते नही, अगर कोई हो आप की नजर मै तो नाम जरुर लिखे. धन्यवाद
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