इस बार के अंतिम के.बी.सी सीजन 4 ने आम आदमी को निश्चित ही प्रोत्सहित किया
जब भी कार्यों के बीच मैं, समय मिलता है,तो बहुत सी अपनी रुचियों मैं दूरदर्शन देखना भी मेरी एक रुचि है,
ऐसा कुछ विशेष कार्यकर्म दूरदर्शन मैं देखना मेरी रुचि मैं शामिल नहीं हैं, पहले प्रज्ञा चेनल आया करता था,
जिसमें मेरी रुचि थी,लेकिन अब वोह चेनल बंद हो चूका है, अब तो रिमोट पर उंगलिय चलती रहतीं हैं,और चेनल बदलते रहते हैं, लेकिन जब मैंने के.बी.की का इस सीजेन का अंतिम चेनल,संभवत:4 पर तो मेरी रिमोट पर उंगलिया स्थिर सी हो गयीं,एक तो अमिताभ बच्चन जी,जिनकी गरिमामय हिंदी,और उनके हाव,भाव मेरे मन को छूतें हैं,और दूसरा आमआदमी का हॉट सीट पर होना,अमिताभ बच्चन जी का उनको प्रोत्साहित करना,और आम आदमी के सपने पूरे होते हुए,सचमुच मन को भा गए |
पाठक गण मुझे क्षमा करें,क्योंकि अधिक्तारों के में नाम नहीं जानता,केवल पाँच करोड़ जितने वाले सुशील कुमारके,जो कि आम इन्सान की श्रेणी में ही आतें हैं,जब सुशील कुमार का नाम यहाँ लिखा है,तो उन्ही से प्रारंभ करताहूँ,एक साधारण से कम्प्यूटर ओपरेटर,उनका सपना,उन बच्चों को शिक्षित करना,जिनमे प्रतिभा तो है,
पर धन की कमी के कारण उनकी प्रतिभा मुखरित नहीं हो पाती हैं,ऐसे बच्चों की परतिभा को मुखरित करना |
एक और ऐसे इंसान का वर्णन करूंगा,जिनमे प्रतिभा तो थी,परन्तु उनकी हकलाहट ने तो जैसे उनकी प्रतिभा
को ग्रहण लगा दिया था,जो लिखित परीक्षा में तो वोह उत्तीर्ण हो जाते थे,परन्तु मौखिक परीक्षा में असफल,और उनोहने एक अच्छी राशी के.बी.सी में पचास लाख,जीत कर समाज के उन लोगों को आइना दिखा दिया,कि उनमे सामान्य ज्ञान की कोई कमी नहीं है,बस एक हकलाहट के कारण उनको असफल घोषित कर दिया जाता रहा ,उनलोगों को इनोहने दिया करारा उत्तर,अब तो बदल जाओ समाज के ऐसे लोग |
उनकी इस सफलता पर उनके,बरबस निकले अश्रुओं ने मेरे मन पर ऐसा,प्रभाव छोड़ा,कि बार,बार
उनके गालों पर टपकते आंसू,और उनका बार,बार अपने को हताश,निराश कहना,बार,बार मेरे सामने आता
है,(उन सज्जन से कर बध,क्षमा,चाहता हूँ,पर क्या करूं अपने को यह लिखने से रोक नहीं पाया) |
कब बदलोगे अपनी सोच समाज के वोह लोगों,जिन्होंने,उस सफल व्यक्ति को असफल घोषित कर दिया
केवल,और केवल एक हकलाहट के कारण |
मुझे तो यह दो घटनाये याद हैं,पाठकगनों,के,बी,सी चार में,और इस प्रकार की घटनाएँ,ज्ञात हों,तो आप लोगों
को सहेज अनुमति हैं,मेरे इस संक्षिप्त से आलेख में जोड़ने के लिए |
जब भी कार्यों के बीच मैं, समय मिलता है,तो बहुत सी अपनी रुचियों मैं दूरदर्शन देखना भी मेरी एक रुचि है,
ऐसा कुछ विशेष कार्यकर्म दूरदर्शन मैं देखना मेरी रुचि मैं शामिल नहीं हैं, पहले प्रज्ञा चेनल आया करता था,
जिसमें मेरी रुचि थी,लेकिन अब वोह चेनल बंद हो चूका है, अब तो रिमोट पर उंगलिय चलती रहतीं हैं,और चेनल बदलते रहते हैं, लेकिन जब मैंने के.बी.की का इस सीजेन का अंतिम चेनल,संभवत:4 पर तो मेरी रिमोट पर उंगलिया स्थिर सी हो गयीं,एक तो अमिताभ बच्चन जी,जिनकी गरिमामय हिंदी,और उनके हाव,भाव मेरे मन को छूतें हैं,और दूसरा आमआदमी का हॉट सीट पर होना,अमिताभ बच्चन जी का उनको प्रोत्साहित करना,और आम आदमी के सपने पूरे होते हुए,सचमुच मन को भा गए |
पाठक गण मुझे क्षमा करें,क्योंकि अधिक्तारों के में नाम नहीं जानता,केवल पाँच करोड़ जितने वाले सुशील कुमारके,जो कि आम इन्सान की श्रेणी में ही आतें हैं,जब सुशील कुमार का नाम यहाँ लिखा है,तो उन्ही से प्रारंभ करताहूँ,एक साधारण से कम्प्यूटर ओपरेटर,उनका सपना,उन बच्चों को शिक्षित करना,जिनमे प्रतिभा तो है,
पर धन की कमी के कारण उनकी प्रतिभा मुखरित नहीं हो पाती हैं,ऐसे बच्चों की परतिभा को मुखरित करना |
एक और ऐसे इंसान का वर्णन करूंगा,जिनमे प्रतिभा तो थी,परन्तु उनकी हकलाहट ने तो जैसे उनकी प्रतिभा
को ग्रहण लगा दिया था,जो लिखित परीक्षा में तो वोह उत्तीर्ण हो जाते थे,परन्तु मौखिक परीक्षा में असफल,और उनोहने एक अच्छी राशी के.बी.सी में पचास लाख,जीत कर समाज के उन लोगों को आइना दिखा दिया,कि उनमे सामान्य ज्ञान की कोई कमी नहीं है,बस एक हकलाहट के कारण उनको असफल घोषित कर दिया जाता रहा ,उनलोगों को इनोहने दिया करारा उत्तर,अब तो बदल जाओ समाज के ऐसे लोग |
उनकी इस सफलता पर उनके,बरबस निकले अश्रुओं ने मेरे मन पर ऐसा,प्रभाव छोड़ा,कि बार,बार
उनके गालों पर टपकते आंसू,और उनका बार,बार अपने को हताश,निराश कहना,बार,बार मेरे सामने आता
है,(उन सज्जन से कर बध,क्षमा,चाहता हूँ,पर क्या करूं अपने को यह लिखने से रोक नहीं पाया) |
कब बदलोगे अपनी सोच समाज के वोह लोगों,जिन्होंने,उस सफल व्यक्ति को असफल घोषित कर दिया
केवल,और केवल एक हकलाहट के कारण |
मुझे तो यह दो घटनाये याद हैं,पाठकगनों,के,बी,सी चार में,और इस प्रकार की घटनाएँ,ज्ञात हों,तो आप लोगों
को सहेज अनुमति हैं,मेरे इस संक्षिप्त से आलेख में जोड़ने के लिए |
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