हिंदी और अंग्रेजी के प्राचीन दोहों तथा कथनों से सदा मार्ग ही प्रशस्त होता है ।
यदि हमारे मस्तिष्क में, विरोधावासी बाते विचरण कर रहीं हों,और हम कोई भी निर्णय नहीं ले पा रहें हों, तो उस स्थिति में, प्राचीन कथनों की और ध्यान दें,तो हमें प्राय: समस्या का समाधान भी मिल जाता है, जैसे हमारे मन में काम के प्रति आलस्य की भावना ने घर कर लिया हो,तो यह सोच लेने भर से की काम करना हमारा कर्तव्य है,और
हमें इसका मूल्य मिल रहा है,तो हम अपने कार्य को पूरी ईमानदारी और निष्ठां से करेंगे, और यदि यह सोच लिया जाये कि यह प्रभु का दिया हुआ काम है,तो भी हम पूरी निष्ठां और ईमानदारी से कार्य करेंगे,इसी लिये अंग्रेजी में कहा जाता है,"work is worship"।
यदि बार,बार प्रयत्न करने मैं किसी कार्य मैं सफलता नहीं मिल रही है,तो निराशा में घिरने के कारण अगर अवसाद दिलो दिमाग में घरकरने का प्रयत्न कर रहा हो,तो यही कहा जाता है,"असफलता ही सफलता की सिड़ी है", या अंग्रेजी में "failure is the ladder of suucess", और यह सोचने से दिलो,दिमाग को बल मिलता है ।
यदि कोई दुर्घटना ऐसी हो जाती है,जिसका मनो मस्तिष्क पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है,तो कहा जाता है,
"समय सब घाव भर देता है",या अंग्रेजी में कहा जाता है,"Time is the great healer"|
मित्रता के बारे में कहा जाता है,"सच्चा दोस्त वोही है,जो कठ्नाई के समय में साथ देता है",या अंग्रेजी में कहा जाता है,"friend is need is friend indeed" |
महान कवी रहीम दास का एक दोहा है,जिसका आशय है,"थोरे समय की विपदा आनी अच्छी है,जिससे अपने प्राय का हमें ज्ञात हो जाता है",इसी सन्दर्भ में तुलिसिदास जी रचित रामचरितमानस में",लिखा धेर्य की परीक्षा विप्पती में होती है ।
सच्चे प्रेम के बारे में रहीम दास द्वारा ही लिखा गया,"धागा प्रेम का ना तोड़ो चटकाय,जो जोड़ो तो गांठ पड़ जाये"।
कबीर दास द्वारा कहा गया है,वाणी के बारें में,"इसी वाणी बोलिए मन का आप खोये,औरों को शीतल करे आप भी शीतल होये ।
कबीर दास जी का यह भी दोहा है,"बड़ा हुआ तो क्या हुआ,जैसे पेड़ खजूर,पंथी को छाया नहीं फल लगे अति दूर "
कोई भी स्थिति हो तो उस के अनुकूल कथन मिल ही जायेगा ।
यही सब सीख तो सच्चे गुरु देते हैं,इसी के बाद ही तो परमात्मा से साक्षात्कार करातें हैं ।
मानव पुराने सीख देने वाले दोहे कथन का को याद करके,वातावरण को अपने अनुकूल बना सकता है ।
अंत में इस लेख को इस दोहे से समापन करता हूँ,"काल करे, सो आज कर, आज करे सो अब,पल में प्रलय
होगी, भौरी करेगा कब।
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