प्रेम एक समर्पण बिना किसी शर्त के एक दुसरे को स्वीकार करने का ।
आज कल बातावरण में,प्रेम शब्द गूँज रहा है,वेलनटाइन के नाम से,जो कि प्रेम के ग्रीक देवता का नाम है,मौसम भी धीरे,धीरे सुभावाना होता जा रहा है, इन्ही दिनों कामदेव जो कि हिन्दुओं के काम के देवता हैं,फूलों की सुगंध ने मौसम को खुशनुमा बना दिया है,और हो भी क्यों ना,कामदेव ने अपने तीर से फूलों का वाण जो छोड़ा है, रति और कामदेव की काम क्रीड़ा का मौसम जो आ गया है ।
जब मैंने पाश्चात्य सभ्यता के उदहारण से यह लेख लिखना प्रारंभ किया था,तब मेरे मस्तिष्क में,एक पाश्चत्य कहानी गुंजायमान हो रही थी,जिसका नाम है,गिफ्ट ऑफ़ मेजाइ,इस कहानी में एक दम्पति का एक दुसरे के प्रति समर्पण बताया गया है,वोह दम्पति आर्थिक रूप से गरीब थे,पत्नी के बहुत ही खूबसूरत सुन्हेरे बाल थे, और उसके पास बालों में लगाने के लीये कोई भी सुन्दर क्लिप नहीं थी,और पति के पास घड़ी तो अवश्य थी,परन्तु उसका पट्टा कोई खास अच्छा नहीं था,दिन आया क्रिसमस का जैसे कि पाश्चात्य सभ्यता में,उपहार देने होतें हैं,और सांता भी उपहार ही देते हैं,पति ने सोचा क्यों नहीं अपनी घड़ी बेच कर अपनी पत्नी के बालों में लगाने के लीये एक सुन्दर सा क्लिप खरीद लिया जाये,तो पति ने अपनी घड़ी बेच कर पत्नी के बालों के लीये सुन्दर सा रत्नजड़ित क्लिप खरीद लीया,और उधर पत्नी आकुल,व्याकुल की उसके मन में भी वोही व्यथा कि पति कलाई में घड़ी के लीये क्यों ना कोई सुन्दर सी सोने की चेन अपने सुन्दर सुन्हेरे बालों को बेच कर खरीद ली, यह होता है प्रेम जिसमे एक दुसरे ने अपनी सबसे अधिक मूल्यवान बेच कर एक दुसरे की आवश्यकता की वस्तु खरीद ली,और वेलेनटाइन,एक दुसरे के लीये कोई भी हो सकता है,किसी भी रिश्तें में,मित्रों में इत्यादि ।
इसी प्रकार हिंदी में कामदेव की कथा आती हैं,जिसका प्रारंभ होता है,शिव पार्वती जी के विवाह के बाद,भोलेनाथ पार्वती जी के रूप लावण्या में इतने आसक्त हो गये,कि वोह अपनी सुध बुध भूल बैठे, और उसी समय एक राक्षस बहुत उत्पात कर रहा था,और उसका संघार शिव पार्वती का पुत्र ही कर सकता था, उस समय शिवजी को उस बंधन से निकलना बहुत अवश्यक था,अब भोलेनाथ का क्रोध तो सर्वविदित है, जब शिवजी का तीसरा नेत्र खुलता है,तो प्रलय आ जाती है, भयभीत देवता शिव शम्भू के पास जाने से डर रहे थे, आखिरकार कामदेव जी तेयार हो गये शिव जी की प्रेम लीला भंग करने के लीये,और कामदेव ने इसी प्रकार का मौसम बना दिया जिसे कहते है,वेलेनटाइन डे,और जैसे ही कामदेव जी ने शिवजी के हिर्दय पर कामवाण का प्रहार किया,तो शिव का तीसरा नेत्र खुल गया और कामदेव का शरीर का नाश हो गया, इसी मौसम में कामदेव और रति काम क्रीड़ा करते हैं, यहाँ भी एक निष्काम प्रेम है,कामदेव ने जगत की भलाई के लीये अपने शरीर को नाश कर दिया,परन्तु रति युगों,युगों से उनके साथ है ।
मित्रों प्रेम कोई वासना नहीं है,यह एक उपासना है ।
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