देर मध्य रात्री से बहुत लाउडस्पीकर की तीव्र ध्वनि से प्रारम्भ करके और भोर के पहल्रे प्रहर तक के नाच गा कर हम अपना मनोरंजन करते है, उनका भी हम सोचें जो रोगी है या उनके यहां कोई शोक है,यदि हम उनसे संवेदना नहीं रख पाते,कम से कम उनके रोग या शोक में इस उचीं ध्वनि से उनको कष्ट ना पहुंचा कर अपनी सभ्यता का परिचय दें तो कैसा रहे ? यदि ऊँची ध्वनि पर नाच गा कर नववर्ष का स्वागत करना ही चाहते हैं,तो ऐसे उपुक्त स्थान का चयन करें जिस स्थान से किसी को कष्ट ना पहुंचे |
जब भी नववर्ष आता है, मदिरा का अनाप शनाप सेवन होता है,और लोग इसके नशे में अपना सयंम खो देते हैं,अगर हम उन लोगों के बारे में भी किंचित सोचे जिनको दूषित जल पीने के लिए प्राप्त हो रहा है, और जो अनेक जल जनित रोगों को उत्पन्न कर रहा है,उनके बारें में भी ध्यान दें तो कैसा रहे ? हजारो,लाखों करोड़ों इस मदिरा के सेवन पर व्यय कर देते हैं,यदि हम उनके बारे में भी सोचे जो आज कुछ धन जुटा पायें हैं,और कल कैसे जुटाएंगे उसकी चिंता है, उनकी थोड़ी आर्थिक सहयता कर दें तो कैसा रहे ? किसी को भी विदर्भ के किसानों की तरह कर्ज के बोझ के कारण आत्महत्या ना करना पड़े |
यदि हम लोग अत्यधिक भोजन लेकर और अन्न देवता को फ़ेंक कर माँ अन्नपूर्णा का अपमान ना करके,उन लोगों के बारें में भी किंचित ध्यान दें उन लोगों का जो भूखे पेट रह कर अपनी दिन और रात बिता देतें हैं,कोई विवश माँ अपने नवजात शिशु को भूखी रह कर अपना दूध पिला रही है,उसके बारे में सोचे तो कैसा रहे ?
आखिर कार हमारा यह भारतवर्ष दया,दान,सहनशीलता,क्षमा इत्यादि गुणों के लिए विख्यात था,जो गुण अब अब धूमिल होते जा रहे हैं,या समय की गर्त में कहीं खो गएँ हैं,उन को पुन: जीवित करें तो कैसा रहे ? राष्ट्र,जाती,प्रान्त और भाषा का विवाद मिटा कर विश्व बंधुत्व की भावना को पुन: जीवित करें तो कैसा रहे ?
व्यावहारिक क्रियाओं के लिए यदि कुछ किसी को सबक सिखाना भी पड़े,तो विषधर सर्प की भांति फुफकारना ना छोड़ें,परन्तु विष से आघात ना करें |
सब का नववर्ष सब प्रकार की खुशियाँ देने वाला हो |
जब भी नववर्ष आता है, मदिरा का अनाप शनाप सेवन होता है,और लोग इसके नशे में अपना सयंम खो देते हैं,अगर हम उन लोगों के बारे में भी किंचित सोचे जिनको दूषित जल पीने के लिए प्राप्त हो रहा है, और जो अनेक जल जनित रोगों को उत्पन्न कर रहा है,उनके बारें में भी ध्यान दें तो कैसा रहे ? हजारो,लाखों करोड़ों इस मदिरा के सेवन पर व्यय कर देते हैं,यदि हम उनके बारे में भी सोचे जो आज कुछ धन जुटा पायें हैं,और कल कैसे जुटाएंगे उसकी चिंता है, उनकी थोड़ी आर्थिक सहयता कर दें तो कैसा रहे ? किसी को भी विदर्भ के किसानों की तरह कर्ज के बोझ के कारण आत्महत्या ना करना पड़े |
यदि हम लोग अत्यधिक भोजन लेकर और अन्न देवता को फ़ेंक कर माँ अन्नपूर्णा का अपमान ना करके,उन लोगों के बारें में भी किंचित ध्यान दें उन लोगों का जो भूखे पेट रह कर अपनी दिन और रात बिता देतें हैं,कोई विवश माँ अपने नवजात शिशु को भूखी रह कर अपना दूध पिला रही है,उसके बारे में सोचे तो कैसा रहे ?
आखिर कार हमारा यह भारतवर्ष दया,दान,सहनशीलता,क्षमा इत्यादि गुणों के लिए विख्यात था,जो गुण अब अब धूमिल होते जा रहे हैं,या समय की गर्त में कहीं खो गएँ हैं,उन को पुन: जीवित करें तो कैसा रहे ? राष्ट्र,जाती,प्रान्त और भाषा का विवाद मिटा कर विश्व बंधुत्व की भावना को पुन: जीवित करें तो कैसा रहे ?
व्यावहारिक क्रियाओं के लिए यदि कुछ किसी को सबक सिखाना भी पड़े,तो विषधर सर्प की भांति फुफकारना ना छोड़ें,परन्तु विष से आघात ना करें |
सब का नववर्ष सब प्रकार की खुशियाँ देने वाला हो |
3 टिप्पणियां:
निसंदेह ।
यह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
धन्यवाद ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।
संवेदना से भरा हुआ यह लेख दिल को छू गया
बहुत सुन्दर विनय जी । आपका ब्लाग bolg world .com में जुङ गया है ।
कृपया देख लें । और उचित सलाह भी दें । bolg world .com तक जाने के
लिये सत्यकीखोज @ आत्मग्यान की ब्लाग लिस्ट पर जाँय । धन्यवाद ।
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