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बुधवार, अगस्त 1

प्रभु इश्वर, क्यों करता है मानव की भावना से खिलवाड़ ।


प्रभु इश्वर, क्यों करता है मानव की भावना से खिलवाड़ 

परमपिता परमात्मा, इन्सान को क्यों दी तूने भावना,और यह भावना ही मन को व्यथित करती है, क्यों रचता है,ऐसे खेल कि मानव हो जाता है,व्यथित,अधिकतर लोग इतने ज्ञानी तो नहीं होते,जो सुख और दुःख में सम रहें,और लोग कह देते है,पूर्वजन्म के कर्म,पर है,इश्वर कौन जनता है,पूर्वजन्म के कर्म,कभी किसी को उसके जीवन साथी को दूर कर देता है,और किसी के जीवन साथी को सदा के लिए दूर कर देता है, कि दूसरा जीवनसाथी रोता,बिलखता रह जाता है,कीसी को दे देता है संतान का वियोग ।
प्रभु क्यों बनाता है,एसे सयोंग,कि कुछ समय के लिए दो लोगों को एसे मिला देता है,कि कभी वियोग नहीं होगा,परन्तु एक ही तुषारपात ऐसा कर देता है,ऐसा वियोग हो जाता है,पता ही नहीं चलता भविष्य में सयोंग होगा कि नहीं,और किसी को भी नहीं ज्ञयात होता,भविष्य मैं क्या होगा,यह अनिश्चितता दे कर,क्यों असमंजस मैं पड़ जाता है ।
कहते है,सदगुरु से ज्ञयान मिलता है,परन्तु क्यों नहीं मिलता है हर किसी को सदगुरु,और मिलता भी तो साधारण मनुष्य कैसे समझ सकता है,कौन है सदगुरू,और मानव को पता चल जाये कि,भविष्य में,हानि होगी तो मानव सम्भल जाए ।
बस इस लेख का समापन इस कथा से करता हूँ,जब कृष्ण भगवन ने उधो को कृष्ण वियोग मैं,जलती हुई गोपियों के पास भेजा,तब जब उद्धव जी ने गोपियों को ज्ञयान देने का प्रयत्न किया तो गोपियों ने कहा,'ऊधो तुम्हारे जोग हम नहीं ।
वाह प्रभु तेरी विचत्र लीला 

1 टिप्पणी:

Sunil Kumar ने कहा…

बहुत से प्रश्नों के उत्तर मांगती हुई सार्थक पोस्ट

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अभी तो एक प्रश्न चिन्ह ही छोड़ा है ? (1) आत्मा अंश जीव अविनाशी (1) इन्ही त्योहारों के सामान सब मिल जुल कर रहें (1) इश्वर से इस वर्ष की प्रार्थना (1) इसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ | (1) उस अविनाशी ईश्वर का स्वरुप है | (1) एक आशियाना जिन्दगी का (1) कब बदलोगे अपनी सोच समाज के लोगों ? (1) कहाँ गया विश्व बंधुत्व और सदभावना? (1) कहीं इस कन्या का विवाहित जीवन अंधकार मय ना हो | (1) किसी का अन्तकरण भी बदला जा सकता है (1) किसी की बात सुन कर उसको भावनात्मक सुख दिया जा सकता है | (1) कैसे होगा इस समस्या का समाधान? (1) चाहता हूँ इसके बाद वोह स्वस्थ रहे और ऑपेरशन की अवयाक्ष्ता ना पड़े | (1) जय गुरु देव की (1) जीत लो किसी का भी हिर्दय स्नेह और अपनेपन (1) डाक्टर साहब का समर्पण (1) पड़ोसियों ने साथ दिया (1) बच्चो में किसी प्रकार का फोविया ना होने दें (1) बस अंत मे यही कहूँगा परहित सम सुख नहीं | (1) बुरा ना मानो होली है | (1) मानवता को समर्पित एक लेख (1) मित्रों प्रेम कोई वासना नहीं है (1) में तो यही कहता हूँ (1) यह एक उपासना है । (1) राधे (2) राधे | (2) वाह प्रभु तेरी विचत्र लीला (1) वोह ना जाने कहाँ गयी (1) शमादान भी एक प्रकार का दान है | (1) सब का नववर्ष सब प्रकार की खुशियाँ देने वाला हो | (1) समांहुयिक प्रार्थना मैं बहुत बल है | (1)