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शुक्रवार, जुलाई 10

समाज सेवा मैं बाधाएं

कुछ समय पहले मैंने एक पोस्ट लिखी थी, स्नेह परिवार जिसमे मैंने उस संस्था की संचालिका प्रियम मित्तल बारे मैं लिखा था, किस प्रकार वोह निराश्रित बच्चो की देखभाल एक ममतामई माँ की तरह करती हैं, उस पर मुझे शमा जी की टिप्पणी मिली थी कि वोह इस प्रकार कि संस्था से जुड़ने की इछुक हैं,पर जुड़ नहीं पाती, तत्पश्चात मुझे यह जानकारी प्राप्त हुई थी, उनके आस पास काफी NGOs जिनके साथ मिलके वोह काम कर सकती थी पर वोह लोग उनके नाम से बिदक जाते हैं, जबकि वोह अपनी ईमानदारी और साफगोई के कारण परिसिध हो गई थी, यह सोच के मन उदास हो गया, और यह पोस्ट लिखने का मन मैं विचार आया था, यह मानवता की सेवा तो समपर्ण की भावना से ही होती हैं, अगर मन्युष का मन संवेदनशील हैं तो उसका दिल दिमाग पर अभावग्रस्त जीवन को देख कर स्वयं ही प्रवाहाव पड़ता है, परन्तु अगर संवेदना ही ना हो तो क्या प्रवाहाव पड़ेगा, संवेदनहीन लोगो ने तो अपना मतलब सिद्ध करने के लिए यह व्यापर बना लिया है, तो उन मैं तो संवेदना का नितांत आभाव हैं, वोह लोग क्या मानवता को समर्पित होंगे, यह लोग या तो नाम के लिए या दाम के लिए करते हैं।
शायद इन्ही कारणों से मेरी जानकारी मैं अधिकतर से सच्ची मानवता की सेवा करने वाले अकेले ही हैं, या किसी अकेले इन्सान ने मानवता की सेवा करने वालो का समूह बनाया हैं।
प्राय: अगर कुछ करना का मन हैं तो रास्ते मैं कांटे बिखरने वाले मिल जाते हैं, मेरे एक परिचित ने कम पैसे मैं दवाइयों का वितरण प्रारम्भ किया तो उनके विरोध मैं कुछ झोला छाप चिकत्सक गए और उनको यह नेक काम बंद करना पड़ा, अगर आप किसी जरूतमंद इन्सान के लिए कुछ करते हो, तो छदम भेष मैं अनेको बिना जरूरतमंद के लोग अपने लाभ के लिए जायेंगे, रंगे सियार की भांति असली और नकली की पहचान करना नितांत कठिन हैं, कौन असली हैं और कौन नकली हैं इसके लिए उन लोगो की जानकारी करना और वोह भी इस प्रकार की उनको कोई संदेह ना हो नितांत आवश्यक है।
बहुत से नगरो मैं बच्चे भीख मांगते दिखाई दे जायेंगे, परन्तु यह नही पता चलता कि उनको यथार्त मैं अव्यश्यकता है या नहीया उनका कोई मुखिया हैं,जिसको वोह मासूम बच्चे अपनी कमाई देते हैं,और निर्धारित पैसे मुखिया को ना मिलने पर निर्ममता से पिटते है, और तो और बहुत से बच्चो को वोह मुखिया अंग भंग करके जीवन भर को उनको लाचार करके अपना उल्लू सीधा करते हैं, ना जाने किस किस प्रकार से लोगो ने मानवता को बदनाम करके व्यापर बना रखा हैं।
कुछ दिन पहले मैंने समाचार पत्र मैं आशा नाम कि संस्था के विषय मैं पड़ा था, जो कि जीवन कि ढलती संध्या के वोह बुजुर्गो के बारे मैं था, जिनके लिए इस संस्था ने आवास बनाया था, जो की नाम के लिए ही था, इस मैं निर्धारित लोगो से अधिक वास कर रहे थे, संक्रमण रोगों से ग्रसित लोग एक ही साथ रह रहे थे,जिनके लिए अलग व्यवस्था होने की अवयाक्श्ता हैं, परन्तु एक साथ रह रहे हैं, सफाई की कोई व्यवस्था नहीं हैं,यह तो केवल नाम के लिए है,यह तो उस वृक्ष की भांति हैं पौधारोपण तो कर दिया पर उसको सम्पुरण वृक्ष बनने ही नही दिया, खाद पानी की कोई व्यवस्था नहीं, तो उस पौधे की वृक्ष बनने की सम्भावना कहा तक हैं, यदि खाद पानी मिल भी गया तो रोग निरोधक दवाइयों के बिना उसकी जर्जर वृक्ष ना बनने की सम्भावना कहाँ तक हैं?
अंत मैं रबिन्द्रनाथ टेगोर जी की पंक्तियों "एकला चलो रे एकला चलो के साथ इस विषय को विराम दे रहा हूँ, और साथ मैं इस संदेश के साथ लेखनी को विराम दे रहा हूँ, फूल की सुगंध तो चारो ओर फेल ही जाती हैं,बस मानवता की सेवा का निस्वार्थ प्र्यतन करते रहने पर फूल की सुगंध बातावरण मैं व्यापत हो ही जायगी।

लेबल

अभी तो एक प्रश्न चिन्ह ही छोड़ा है ? (1) आत्मा अंश जीव अविनाशी (1) इन्ही त्योहारों के सामान सब मिल जुल कर रहें (1) इश्वर से इस वर्ष की प्रार्थना (1) इसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ | (1) उस अविनाशी ईश्वर का स्वरुप है | (1) एक आशियाना जिन्दगी का (1) कब बदलोगे अपनी सोच समाज के लोगों ? (1) कहाँ गया विश्व बंधुत्व और सदभावना? (1) कहीं इस कन्या का विवाहित जीवन अंधकार मय ना हो | (1) किसी का अन्तकरण भी बदला जा सकता है (1) किसी की बात सुन कर उसको भावनात्मक सुख दिया जा सकता है | (1) कैसे होगा इस समस्या का समाधान? (1) चाहता हूँ इसके बाद वोह स्वस्थ रहे और ऑपेरशन की अवयाक्ष्ता ना पड़े | (1) जय गुरु देव की (1) जीत लो किसी का भी हिर्दय स्नेह और अपनेपन (1) डाक्टर साहब का समर्पण (1) पड़ोसियों ने साथ दिया (1) बच्चो में किसी प्रकार का फोविया ना होने दें (1) बस अंत मे यही कहूँगा परहित सम सुख नहीं | (1) बुरा ना मानो होली है | (1) मानवता को समर्पित एक लेख (1) मित्रों प्रेम कोई वासना नहीं है (1) में तो यही कहता हूँ (1) यह एक उपासना है । (1) राधे (2) राधे | (2) वाह प्रभु तेरी विचत्र लीला (1) वोह ना जाने कहाँ गयी (1) शमादान भी एक प्रकार का दान है | (1) सब का नववर्ष सब प्रकार की खुशियाँ देने वाला हो | (1) समांहुयिक प्रार्थना मैं बहुत बल है | (1)