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शनिवार, फ़रवरी 11

प्रेम एक समर्पण बिना किसी शर्त के एक दुसरे को स्वीकार करने का ।

प्रेम एक समर्पण बिना किसी शर्त के एक दुसरे को स्वीकार करने का ।

आज कल बातावरण में,प्रेम शब्द गूँज रहा है,वेलनटाइन के नाम से,जो कि प्रेम के ग्रीक देवता का नाम है,मौसम भी धीरे,धीरे सुभावाना होता जा रहा है, इन्ही दिनों कामदेव जो कि हिन्दुओं के काम के देवता हैं,फूलों की सुगंध ने मौसम को खुशनुमा बना दिया है,और हो भी क्यों ना,कामदेव ने अपने तीर से फूलों का वाण जो छोड़ा है, रति और कामदेव की काम क्रीड़ा का मौसम जो आ गया है ।
जब मैंने पाश्चात्य सभ्यता के उदहारण से यह लेख लिखना प्रारंभ किया था,तब मेरे मस्तिष्क में,एक पाश्चत्य कहानी गुंजायमान हो रही थी,जिसका नाम है,गिफ्ट ऑफ़ मेजाइ,इस कहानी में एक दम्पति का एक दुसरे के प्रति समर्पण बताया गया है,वोह दम्पति आर्थिक रूप से गरीब थे,पत्नी के बहुत ही खूबसूरत सुन्हेरे बाल थे, और उसके पास बालों में लगाने के लीये कोई भी सुन्दर क्लिप नहीं थी,और पति के पास घड़ी तो अवश्य थी,परन्तु उसका पट्टा कोई खास अच्छा नहीं था,दिन आया क्रिसमस का जैसे कि पाश्चात्य सभ्यता में,उपहार देने होतें हैं,और सांता भी उपहार ही देते हैं,पति ने सोचा क्यों नहीं अपनी घड़ी बेच कर अपनी पत्नी के बालों में लगाने के लीये एक सुन्दर सा क्लिप खरीद लिया जाये,तो पति ने अपनी घड़ी बेच कर पत्नी के बालों के लीये सुन्दर सा रत्नजड़ित क्लिप खरीद लीया,और उधर पत्नी आकुल,व्याकुल की उसके मन में भी वोही व्यथा कि पति कलाई में घड़ी के लीये क्यों ना कोई सुन्दर सी सोने की चेन अपने सुन्दर सुन्हेरे बालों को बेच कर खरीद ली, यह होता है प्रेम जिसमे एक दुसरे ने अपनी सबसे अधिक मूल्यवान बेच कर एक दुसरे की आवश्यकता की वस्तु खरीद ली,और वेलेनटाइन,एक दुसरे के लीये कोई भी हो सकता है,किसी भी रिश्तें में,मित्रों में इत्यादि ।
इसी प्रकार हिंदी में कामदेव की कथा आती हैं,जिसका प्रारंभ होता है,शिव पार्वती जी के विवाह के बाद,भोलेनाथ पार्वती जी के रूप लावण्या में इतने आसक्त हो गये,कि वोह अपनी सुध बुध भूल बैठे, और उसी समय एक राक्षस  बहुत उत्पात कर रहा था,और उसका संघार शिव पार्वती का पुत्र ही कर सकता था, उस समय शिवजी को उस बंधन से निकलना बहुत अवश्यक था,अब भोलेनाथ का क्रोध तो सर्वविदित है, जब शिवजी का तीसरा नेत्र खुलता है,तो प्रलय आ जाती है, भयभीत देवता शिव शम्भू के पास जाने से डर रहे थे, आखिरकार कामदेव जी तेयार हो गये शिव जी की प्रेम लीला भंग करने के लीये,और कामदेव ने इसी प्रकार का मौसम बना दिया जिसे कहते है,वेलेनटाइन डे,और जैसे ही कामदेव जी ने शिवजी के हिर्दय पर  कामवाण का प्रहार किया,तो शिव का तीसरा नेत्र खुल गया और कामदेव का शरीर का नाश हो गया, इसी मौसम में कामदेव और रति काम क्रीड़ा करते हैं, यहाँ भी एक निष्काम प्रेम है,कामदेव ने जगत की भलाई के लीये अपने शरीर को नाश कर दिया,परन्तु रति युगों,युगों से उनके साथ है ।
मित्रों प्रेम कोई वासना नहीं है,यह एक उपासना है ।

रविवार, फ़रवरी 5

हिंदी और अंग्रेजी के प्राचीन दोहों तथा कथनों से सदा मार्ग ही प्रशस्त होता है ।

हिंदी और अंग्रेजी के प्राचीन दोहों तथा कथनों से सदा मार्ग ही प्रशस्त होता है ।

यदि हमारे मस्तिष्क में, विरोधावासी बाते विचरण कर रहीं हों,और हम कोई भी निर्णय नहीं ले पा रहें हों, तो उस स्थिति में, प्राचीन कथनों की और ध्यान दें,तो हमें प्राय: समस्या का समाधान भी मिल जाता है, जैसे हमारे मन में काम के प्रति आलस्य की भावना ने घर कर लिया हो,तो यह सोच लेने भर से की काम करना हमारा कर्तव्य है,और 
हमें इसका मूल्य मिल रहा है,तो हम अपने कार्य को पूरी ईमानदारी और निष्ठां से करेंगे, और यदि यह सोच लिया जाये कि यह प्रभु का दिया हुआ काम है,तो भी हम पूरी निष्ठां और ईमानदारी से कार्य करेंगे,इसी लिये अंग्रेजी में कहा जाता है,"work is worship"।
यदि बार,बार प्रयत्न करने मैं किसी कार्य मैं सफलता नहीं मिल रही है,तो निराशा में घिरने के कारण अगर अवसाद   दिलो दिमाग में घरकरने का प्रयत्न कर रहा हो,तो  यही कहा जाता है,"असफलता ही सफलता की सिड़ी है", या अंग्रेजी में "failure is the ladder of suucess", और यह सोचने से दिलो,दिमाग को बल मिलता है ।
यदि कोई दुर्घटना ऐसी हो जाती है,जिसका मनो मस्तिष्क पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है,तो कहा जाता है,
"समय सब घाव भर देता है",या अंग्रेजी में कहा जाता है,"Time is the great healer"|
मित्रता के बारे में कहा जाता है,"सच्चा दोस्त वोही है,जो कठ्नाई के समय में साथ देता है",या अंग्रेजी में कहा जाता है,"friend is need is friend indeed" |
महान कवी रहीम दास का एक दोहा है,जिसका आशय है,"थोरे समय की विपदा आनी अच्छी है,जिससे अपने प्राय का हमें ज्ञात हो जाता है",इसी सन्दर्भ में तुलिसिदास जी रचित रामचरितमानस में",लिखा धेर्य की परीक्षा विप्पती में होती है ।
सच्चे प्रेम के बारे में रहीम दास द्वारा ही लिखा गया,"धागा प्रेम का ना तोड़ो चटकाय,जो जोड़ो तो गांठ पड़ जाये"।
कबीर दास द्वारा कहा गया है,वाणी के बारें में,"इसी वाणी बोलिए मन का आप खोये,औरों को शीतल करे आप भी शीतल होये ।
कबीर दास जी का यह भी दोहा है,"बड़ा हुआ तो क्या हुआ,जैसे पेड़ खजूर,पंथी को छाया नहीं फल लगे अति दूर " 
कोई भी स्थिति हो तो उस के अनुकूल कथन मिल ही जायेगा ।
 यही सब सीख तो सच्चे गुरु देते हैं,इसी के बाद ही तो परमात्मा से साक्षात्कार करातें हैं ।
 मानव पुराने सीख देने वाले दोहे कथन का को याद करके,वातावरण को अपने अनुकूल बना सकता है ।
  अंत में इस लेख को इस दोहे से समापन करता हूँ,"काल करे, सो आज कर, आज करे सो अब,पल में प्रलय
होगी, भौरी करेगा कब।





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अभी तो एक प्रश्न चिन्ह ही छोड़ा है ? (1) आत्मा अंश जीव अविनाशी (1) इन्ही त्योहारों के सामान सब मिल जुल कर रहें (1) इश्वर से इस वर्ष की प्रार्थना (1) इसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ | (1) उस अविनाशी ईश्वर का स्वरुप है | (1) एक आशियाना जिन्दगी का (1) कब बदलोगे अपनी सोच समाज के लोगों ? (1) कहाँ गया विश्व बंधुत्व और सदभावना? (1) कहीं इस कन्या का विवाहित जीवन अंधकार मय ना हो | (1) किसी का अन्तकरण भी बदला जा सकता है (1) किसी की बात सुन कर उसको भावनात्मक सुख दिया जा सकता है | (1) कैसे होगा इस समस्या का समाधान? (1) चाहता हूँ इसके बाद वोह स्वस्थ रहे और ऑपेरशन की अवयाक्ष्ता ना पड़े | (1) जय गुरु देव की (1) जीत लो किसी का भी हिर्दय स्नेह और अपनेपन (1) डाक्टर साहब का समर्पण (1) पड़ोसियों ने साथ दिया (1) बच्चो में किसी प्रकार का फोविया ना होने दें (1) बस अंत मे यही कहूँगा परहित सम सुख नहीं | (1) बुरा ना मानो होली है | (1) मानवता को समर्पित एक लेख (1) मित्रों प्रेम कोई वासना नहीं है (1) में तो यही कहता हूँ (1) यह एक उपासना है । (1) राधे (2) राधे | (2) वाह प्रभु तेरी विचत्र लीला (1) वोह ना जाने कहाँ गयी (1) शमादान भी एक प्रकार का दान है | (1) सब का नववर्ष सब प्रकार की खुशियाँ देने वाला हो | (1) समांहुयिक प्रार्थना मैं बहुत बल है | (1)