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मंगलवार, जनवरी 12

नववर्ष का पहला त्यौहार लोहड़ी





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 अभी,अभी साल 2009 समय की गर्त में चला गया था,और नववर्ष का जन्म हुआ था,यह तो था,अंग्रेजी कलेंडर के हिसाब से था, परन्तु हिंदी कलेंडर के अनुसार साल लोहड़ी से नववर्ष का आगमन हुआ है, चारो ओर ढोल की आवाजें,अग्नि जला कर उसमें पोपकोर्न,मूंगफलियाँ,रेवरी डालना और और भेंट स्वरुप उपहार के तोर पर देना,सब और खुशियों का वातावरण, मेरी तो कामना है,इस प्रकार का वातावरण हर वर्ष रहें,और इस लोहड़ी के पर्व पर उलास्सित हो कर यह कहना

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 सहसा एक रोमांच पैदा कर देता है, और हो जाता है,ढोल की थाप पर भंगरा और गिद्दा,सहसा पैर अपने,आप थिरकने लगतें हैं ,चारो और मस्ती ही मस्ती,खेतों में सरसों की फसल खड़ी हो जाती है |
अभी तो नाचते,गाते रात बीत गयी थी,और जब आंख खुलती है,तो होती है मकर संक्रांति

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मतलब की पवित्र घाटों में विशेषकर गंगा के घाटों में,स्नान करने का दिन,लोहड़ी तो आरम्भ हुई थी पंजाब से और  नीचे चल कर आ गयें उत्तर परदेश,जहाँ पर मकर संक्रांति का विशेष महत्व है,स्नान,ध्यान,जप दान का दिन ,पंजाब के बाद उत्तर परदेश का विशेष दिन मकर संक्रांति |
और नीचे चलते हैं तो आ जाता है,केरल में ओणम का पर्व,जो कि लोहड़ी वाले दिन ही होता है 



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इस ओणम के पर्व पर,केरल के समुन्दर के पानी में,एक साथ नावों पर चलते हुए,एक समां सा बांध देते हैं, केरल में इस दिन होती है,नौका दोड,और एक साथ पानी में चलते हुए चप्पू,इस परतिस्पर्धा में दोड में,आगे निकलना एक नया सा आनंद देता है|
यह है,हमारे भारत का अनेकता में एकता का प्रमाण, हम लोग भी इस अनेकता में एकता का स्वरुप दिखाएँ,कश्मीर से लेकर कनाय्कुमारी तक
सब भाई,बहनों,माताओं,पिताओं,बेटे,बेटियों को लोहड़ी,मकर संक्रांति,ओणम की शुभकामनायें |
इन्ही त्योहारों के सामान सब मिल जुल कर रहें

बुधवार, जनवरी 6

इस लड़की ने मन को छु लिया |

कुछ दिन पहले मैंने अपने यहाँ काम करने वाली लड़की जिसके माँ बाप,उस लड़की के लिए उपयुक्त वर खोजने के लिए अपने गाँव बिहार में स्थित भावनिपुर गाँव में गएँ हुए हैं, वोह लड़की एक महीने से हमारे घर में रह रही है, और कल संभवत: इस कन्या के माँ बाप आ जायेंगे और यह कन्या अपने घर चली जायगी, तन की तो साधारण है, घेऊआं रंग और तीखे नैन नकशे वाली यह बालिका है,परन्तु  सुंदर मन की तो  असाधारण स्वामी है, पहनने ओरने, बात चीत के तरीके से हाव भाव से किसी भी संभ्रांत घर की लड़की लगती है, जब भी मेरे साथ किसी के पास जाती है, यदा कदा लोग पूछ बैठते हैं,क्या यह आपकी लड़की है, मेरे मुख से गर्व के साथ हाँ निकलता  है, इसकी उस लेख में एक विशेषता नहीं लिखी थी वोह यह कि थोड़ी बहुत अंग्रेजी पड़ने के साथ यह अंग्रेजी पड़ भी लेती है, एक माह यह हमारी बेटी के घर पर हमारे नाती के जन्म से पहले से लेकर एक साल तक उसके घर पर रही थी, हमारी बेटी इसको छोटी बहिन समझती है,और उसका बेटा इसको मौसी कहता है, इस लड़की ने सब का मन अपनी निस्वार्थ सेवा, सबका खायल रखने से मोह लिया है, घर का काम तो इसको कहने की आवश्यकता ही नहीं, अपने आप घर के काम करती रहती है और कोई नया काम आ जाता है,अपने आप उस काम को सम्भाल लेती है|
 जब यह हमारी बेटी के पास रही थी, इसने इस हमारे नाती के जन्म से पहले उसके एक साल तक उसके घर के काम के साथ,हमारी बेटी और नाती को इस प्रकार संभाला कि कोई परिचारिका क्या संभालेगी?
  अब तो हमारा नाती चार वर्ष का होने जा रहा है,और नातिन का भी जन्म हो चुका है, जब भी हमारे बेटी दामाद घर पर आतें हैं,और इसको उनका आने का पता चल जाता है,तो यह हमारे नाती के लिए बड़ी सी चोकलेट लेकर आती है, हमारी बेटी जब कहती है, शीला तु इसके दांत ख़राब कर देगी, तो यह अधिकार से कहती है,"बोबू मेरा भी तो कुछ लगता है,यह आपके ऊपर है,आप इसको कितनी चोकलेट दो |"
  एक बार मेरी पत्नी को अपनी स्कूल की पुस्तकों के कुछ पृष्ठ फोटोस्टेट  करवाने थे,तो शीला मेरे साथ गयी और उस समय बिजली ना होने के कारण,में वोह पुस्तकें उस फोटोस्टेट वाले के पास छोड़ आया क्योंकि वोह मेरा परिचित था, यह लड़की भी मेरे साथ वापिस आ गयी, फोटोस्टेट वाले ने कुछ समय दिया था, और उसके निर्धारित समय पर जब में उसके पास जाने लगा तो यह मेरे साथ चल दी, उस फोटोस्टेट वाले ने पृष्ठ फोटोस्टेट कर दिए,और इसका अंग्रेजी पड़ने का ज्ञान उस समय काम आया,इसने सब पृष्ठों को चेक किया, परन्तु एक पृष्ठ रह गया था, यह बोली अंकल आपने "यह पेज तो फोटोस्टेट नहीं किया"  
  मैंने उस फोटोस्टेट वाले से पेज गिन कर "पूछा कितने पैसे हुए ?|" उस समय यह उस दूकान से बहार देख रही थी, मैंने पूछा "क्या हुआ ?", तो इसने सब पृष्ट गिने फिर बोली इतने पैसे हुए और उस समय मुझे लगा की में पैसे लाना भूल गया जब मैंने यह बात कही तो यह बोली की "पैसे में दे देती हूँ " लेकिन ऐसा हुआ नहीं पर्स मेरे पास था और मैंने पैसे दे दिए थे ,इसकी कर्तव्यप्रायणता देख कर में अवाक् रह गया   |
  दूसरी घटना जो इसकी जो बुधिमत्ता है, उसका वर्णन कर रहा हूँ, एक बार मुझे अपनी दीवार घड़ी ठीक कराने के लिए ले जानी थी, घड़ी बड़ी होने के कारण में उसको स्कूटर पर ले जाने के लिए असमर्थ था,मेरी पत्नी ने इसको मेरे साथ भेज दिया तो यह मेरे स्कूटर के पीछे घड़ी पकड़ कर बैठ गयी और हम लोग पहुँच गये घड़ी साज के पास,घड़ी तो ठीक हो गयी थी,पर घर लौटते में सेकंड की सुई ढीली होने के कारण गिर गयी थी, यह बोली "सेकंड की सुई तो गिर गयी", तो में बोला चलो उस घड़ी साज के पास और घड़ी साज के पास चल दिए, इसने घड़ी साज की दूकान से कुछ दूरी पर ही देख लिया था, कि सेकंड की सुई गिर गयी है, तो यह तो स्कूटर पर से उतर गयी और अपने मोबाइल जिसको इसने स्वयं अपनी कमाई से ख़रीदा है, उसकी टोर्च की रौशनी में वोह सुई खोज लायी,और घड़ी साज से वोह सुई लगवा ली  |
  एक बार हम चाट वाले से टिक्की और पानी के बताशे (गोल गप्पे) लेने गए, घर तो यह चाट का सामान ले आये,परन्तु पानी के बताशों के लिए पानी डालते समय इसके हाथ से वोह पानी गिर गया, यह बोली "पानी तो गिर गया", मेरी पत्नी बोली जितना "पानी है,उसके तीन भाग कर के खांएंगे", तो यह बोली में अपने भाई को फ़ोन कर देतीं हूँ "वोह पानी ले आएगा",  मेरी पत्नी ने कहा कोई "जरूरत नहीं है",और कहा  "पानी के बताशे ले आ",तो यह पानी के दो भाग कर के ले आई परन्तु,अपने लिए गिलास में सादा पानी ले आई,मेरी पत्नी ने कहा दिखा अपना पानी तब इसकी मासूम चोरी पकड़ी गयी, उस चाट वाले से हम अक्सर चाट ले जातें हैं, चाट ले कर में वोह सामान अपने स्कूटर में रखने लगा तो यह बोली, "अंकल इसके पैसे दो दे दीजिये",चाट वाला बोला पहले सामान रख लो पैसे बाद में दे देना, तो यह मधुर स्वर बोली," आपने सामान ले लिया है ,तो तुरंत पैसे दीजिएय", में सोचने लगा इसका इसके घर वालों ने इसका नाम बुलबुल रखा है, वाकई में यथार्थ चित्रण है |
 इसकी बुद्धि की परिवाक्त्ता इतनी है, इसके घर में इसके दो भाई हैं, उन्होंने खाना बनाने का सब सामान समाप्त कर दिया,और उनके पास केवल साठ रुपये थे,उसका चिकन ले आये,और फिर इसको फ़ोन करतें हैं,सब खाने बनाने का सामान और पैसे समाप्त हो गयें है,पहले यह एक मुखिया के सामान बोली,"तो में क्या करुँ ?", फिर कुछ सोचअपनी स्वयं खरीदी हुई साइकिल पर गयी, और  खाना बनाने का सामान बाजार से खरीद के घर पर रख आई,और उसके बाद इसके घर से इस प्रकार की कोई शिकायत नहीं आई |
   इस प्रकार की कन्या का विवाहित जीवन अन्धकार मय ना हो, इसके लिए मेरे मन से बहुत,बहुत आशीष निकलती है,और इसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ |

नववर्ष हर किसी के लिए सुख,समृधि लाये |

देखते,देखते वर्ष 2010 अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ गया, और पुराना वर्ष 2009 समय की गर्त में चला गया, इस वर्ष के जन्म के समय बधाइयाँ,शुभकामनाये,मंगल कामनाये और और मस्ती का समय था, और मेरी एसी कामना है,यह सब इस वर्ष से लेकर हर वर्ष तक रहे, ना कहीं आतंकवाद के मासूम लोगों की जान लेने वाले  धामके हों, ना ही कहीं सवाइन फ्लू जैसी और भी किसी प्रकार की महामारी जगत में व्याप्त ना हो,ना कहीं पराकरतिक  जान लेवा आपदाएं हों, बस सब ओर स्नेह और सोहार्द्य का वातावरण हो |
  कहने का मतलब है,सतयुग जैसा वातावरण लौट आये, सतयुग ना हो तो कम से कम रामराज्य तो हो, अगर हम सब विश्व के लोग समवेत स्वरोंसच्चे मन  से सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना करें, तो संभवत: ऐसा हो जाये, कहतें हैं,सच्चे मन से की हुई प्रार्थना में अत्यंत शक्ति होती है, और हो सकता है ऐसी प्रार्थना ईश्वर स्वीकार कर ले |
 जिसका जो भी इष्ट हो उससे प्रार्थना करें, हिन्दुओं के सगुण या निर्गुण भगवान्, मुस्लिम संप्रदाय के लिए खुदा, सिख संप्रदाय के लिए वाहे गुरु, और इसाई धर्म वालों के लिए इसा मसीह,और भी जो संप्रदाय,जैन,बोध और विश्व के सब धर्म को मानाने वाले और सब से ऊपर मानव संप्रदाय इस प्रकार की प्रार्थना करेंगे तो निश्चित ही एक अच्छे युग को निर्माण होगा |
  आप कहेंगे इस लेख को वर्ष आरंभ होने से पहले लिखना चाहिए था, परन्तु मेरा  इस लेख को वर्ष के प्रथम महीने के छटे दिन लिखने का प्रयोजन यह था, कि बहुत से लोग नवर्ष के आगमन के स्वागत सत्कार में लगें होंगे,और अब तक तो इस स्वागत सत्कार से निवृत हो गयें होंगे, इसलिए मैंने इस लेख को लिखने का इस दिन का चुनाव किया |
 यह नववर्ष आपकी नयी योजनाओं को,आपकी सुख समृधि को,आप की सभी आशाओं को फलीभूत करे |
  इसी वाक्य के साथ अपने इस लेख को विराम देता हूँ |
  

लेबल

अभी तो एक प्रश्न चिन्ह ही छोड़ा है ? (1) आत्मा अंश जीव अविनाशी (1) इन्ही त्योहारों के सामान सब मिल जुल कर रहें (1) इश्वर से इस वर्ष की प्रार्थना (1) इसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ | (1) उस अविनाशी ईश्वर का स्वरुप है | (1) एक आशियाना जिन्दगी का (1) कब बदलोगे अपनी सोच समाज के लोगों ? (1) कहाँ गया विश्व बंधुत्व और सदभावना? (1) कहीं इस कन्या का विवाहित जीवन अंधकार मय ना हो | (1) किसी का अन्तकरण भी बदला जा सकता है (1) किसी की बात सुन कर उसको भावनात्मक सुख दिया जा सकता है | (1) कैसे होगा इस समस्या का समाधान? (1) चाहता हूँ इसके बाद वोह स्वस्थ रहे और ऑपेरशन की अवयाक्ष्ता ना पड़े | (1) जय गुरु देव की (1) जीत लो किसी का भी हिर्दय स्नेह और अपनेपन (1) डाक्टर साहब का समर्पण (1) पड़ोसियों ने साथ दिया (1) बच्चो में किसी प्रकार का फोविया ना होने दें (1) बस अंत मे यही कहूँगा परहित सम सुख नहीं | (1) बुरा ना मानो होली है | (1) मानवता को समर्पित एक लेख (1) मित्रों प्रेम कोई वासना नहीं है (1) में तो यही कहता हूँ (1) यह एक उपासना है । (1) राधे (2) राधे | (2) वाह प्रभु तेरी विचत्र लीला (1) वोह ना जाने कहाँ गयी (1) शमादान भी एक प्रकार का दान है | (1) सब का नववर्ष सब प्रकार की खुशियाँ देने वाला हो | (1) समांहुयिक प्रार्थना मैं बहुत बल है | (1)