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सोमवार, अक्तूबर 19

स्नेह और अपनेपन से जीता जा सकता है,लोगो का हिर्दय ।

ईश्वर द्वारा रचित इस संसार में,अनेकों जीव जंतु जड़,चेतन वस्तुएं हैं, जंतुओं में तो अधिकतर जानवर ऐसे हैं, जो कि किसी के भी दिए हुए है  स्नेह और अपनेपन द्वारा प्राप्त ख़ुशी का एहसास निस्वार्थ रूप से पर्दर्शित करते है, अगर किसी भी कुत्ते को आप रोटी या कोई खाने कि वस्तु देंगे या उसके सिर पर स्नेह  से हाथ फेरेंगे  तो वोह अपनी पूँछ हिला कर अपनी ख़ुशी पर्दर्शित करेगा, गाय की गर्दन को प्यार से सहलायेंगे तो वोह अपनी गर्दन उठा कर और सहलाने के लिए प्रार्थना करेगी,इस प्रकार वोह आपके स्नेह का उत्तर देगी, परन्तु ईश्वर द्वारा रचित सबसे जटिल प्राणी है वोह है इंसान, और इंसान भी स्नेह की अपेक्षा रखता है, परन्तु कुछ इंसान स्नेह का परतिकार भी करते हैं,परन्तु अधिकतर लोगों का हिर्दय स्नेह और अपनेपन से जीता जा सकता है, इंसान के रूप में मुझे हीरे मिले अपने ब्लॉग www.vinay-mereblog.blogspot.कॉम में उन लोगों का वर्णन कर चुका हूँ, जिनमे सेवा का निसवार्थ भावः है |
  अपनी इस पोस्ट में,उन लोगों का वर्णन करने जा रहा हूँ, जिन लोगों को मैंने थोड़ा सा स्नेह और अपनापन दिया और वोह हर समय हमारी सहायता के लिए तत्पर रहते हैं,या जिन लोगों ने हमारे हिर्दय में स्थान बनाया है |
   सबसे पहले में अपने राशन वाले का नाम लूँगा जिसने हमारे संकट के समय में हमारे दिल में स्थान बनाया, घटना उस समय से सम्बंधित है, जब हमें अपनी बेटी का विवाह करना था, बेटी के विवाह के लिए उपूयुक्त वर मिल चुका था, विवाह की तारीख शने: शने: खिसकती हुई समीप आ रही थी, विवाह के समय के लिए मेरी पत्नी ने उस हलवाई से बात कर ली थी, जिसने उसके परिवार में अधिकतर विवाह संपन कराये थे, अंतत: वोह समय भी आ गया था, जब उक्त हलवाई ने विवाहउत्सव में दिए जाने के लिए बारातियों के लिए शादी की पार्टी में देने वाले भोज्य पदार्थ की सामग्री लिखवानी थी, हलवाई ने सामान लिखाया तो हम दोनों यानि कि में और मेरी पत्नी उलझन में पड़ गए, इन सामग्रियों का प्रबंध कैसे हो?
 स्योंगवश उन्ही दिनों में हमारा राशन वाला आ गया, और उसको हमने अपनी समस्या बताई, तो उसने हमारी सहायता करने की बात कही,और उसने उस बात को चरितार्थ किया, उस राशन वाले ने अपनी होने वाली हानि की ओर ध्यान ना देकर सात दिन तक अपनी राशन की दूकान बंद रखी, और जुट गया हमारे द्वारा देने वाली  बारातियों की पार्टी के लिए सामान एकत्रित करने में, और इस प्रकार हमारी पुत्री का विवाह हो गया धूमधाम से, इस प्रकार उस राशन वाले ने हमारे हिर्दय में सदा के लिए स्थान बना लिया |
  अब वर्णन करता हूँ,उस टैक्सी स्टैंड वाले के बारे में, जिसके हिर्दय में स्नेह और अपनेपन से स्थान बनाने में में  सफल हुआ, में अपनी गाड़ी बेच चुका हूँ,कहीं जाना होता है,तो टैक्सी बुला लेते हैं,और उस टैक्सी में सवार होकर अपने गंतव्य स्थान पर चले जाते हैं, और जितना समय अपने गंतव्य स्थान पर विताना होता है,वोह विता कर के उसी टैक्सी से  अपने घर लौट आते हैं |
   इस संसार में परतेक प्रकार के लोग होते हैं, हम लोग किसी की टैक्सी को आने जाने के लिए  कुछ वर्षो से उपयोग कर रहे थे, हम लोग उस  टैक्सी वाले जाने से कुछ दिन पहले बता देते थे,कि हम अमुक दिन,अमुक समय और अमुक स्थान पर जायेंगे, राखी का पर्व पड़ने वाले दिन से उस टैक्सी वाले को हम अपनी बेटी के यहाँ जाने को सूचित कर चुके थे, अब शने:शने: दिन समीप आते हुए आ गया राखी का दिन, मेरी पत्नी ने उसको फ़ोन किया तो उसने आने को मना कर दिया, बाद में यह कहने लगा में छोड़ आऊंगा,और जब आप लोगों को आना होगा तो फ़ोन कर देना में आ जाऊंगा, जब उससे पुछा पैसे कितने लोगे तो बोला डबल, राखी के दिन शहर में कोई टैक्सी नहीं थी,और लालचवश वोह इस चीज का लाभ उठा रहा था,आखिरकार हमने उसको मना कर दिया |
  अपनी बेटी के घर राखी के दिन जाना तो अवश्य था, में निकाल पड़ा टैक्सी कि खोज में, पहुँच गया एक टैक्सी स्टैंड पर,उस टैक्सी स्टैंड से में एक बार टैक्सी ले जा चुका था, और उसके साथ ही उस ही  चबूतरे पर बैठ गया जिस पर वोह बैठा था ,और उससे स्नेह और अपनत्व से बाते करने लगा, उस समय शायद उसके दिमाग में कोई टैक्सी नहीं थी, इसलिए उसने टैक्सी के लिए मना कर दिया,अ़ब में भटक रहा था, दूसरे टैक्सी स्टैंड की खोज में,और सयोंग से उक्त टैक्सी स्टैंड वाले के सामने से गुजरा,उसने मुझे आवाज दी में उसके पास पहुँच के फिर बैठ गया उसके साथ चबूतरे पर उसने किसी टैक्सी को फ़ोन करके हमें टैक्सी उपलब्ध करा दी,उसके बाद एक समय ऐसा आया दिवाली से एक दिन पहले, जबकि शहर में कोई टैक्सी नहीं उपलब्ध नहीं थी, उसने हमें टैक्सी उपलब्ध करायी,और उसका कहना यह है,कि आपके लिए एक टैक्सी हमेशा आपके लिए रहेगी  ,जब भी आवयश्कता हो तो यहाँ से ले जाना |
  अब वोह भी वर्णन करता हूँ, कि इन्टरनेट चेट करते समय, एक अमरीकन महिला के हिर्दय में, में स्थान पाने में सफल हो गया, वैसे तो इन्टरनेट पर में कम ही चेट करता हूँ,हाँ कभी दिन,प्रतिदिन की व्यस्तता से ऊब जाता हूँ,तो फ्लैश में चेट करता हूँ,मतलब कि जहाँ,बहुत सारे लोग होतें हैं,वहाँ पर में चेट करता हूँ,एक ऐसे सोशल साईट पर मैंने रजिस्ट्रेशन कर रखा है, एक दिन में अपनी दिन ,पर्तिदिन ऊब को मिटाने के लिए,उस साईट पर चेट कर रहा था,वहाँ एक अमरीकन महिला थी,जो  अपने बॉय फ्रेंड से बात उस प्रकार बात नहीं कर पा रही थी जैसे वोह किया  करती थी, किन्ही कारणों से वोह अपनी गर्ल फ्रेंड से बात करने से डर रहा था,अमरीका  जैसे देश में यह बॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड का किस्सा तो आम ही होता है,खेर दोनों लोग आपस में खुल कर बात नहीं कर पा रहे थे, मेरी चेटईंग तो उस महिला से हो रही थी, उसकी समस्या को बहुत देर तक समझता रहा, उसकी समस्या मुझे बहुत देर बाद सपष्ट हुई, शायद आधा,पोना घंटा लग गया था, जब तक मुझे उसकी समस्या स्पष्ट नहीं हुइ थी, धैर्य से उस महिला से वोह प्रशन पूछता रहा,जिससे मुझे उसकी समस्या का आभास हो जाये,एक तो उस महिला से केवल नेट पर ही बात हो रही थी, वैसे अमरीका गया अवश्य हूँ,परन्तु मुझे नहीं मालूम था,उसका क्या परिवेश था, जब उसकी पूरी समस्या मुझे स्पष्ट हो गयी,तो मैंने उसको सुझाब देना प्रारंभ किया और उसकी शंका का भी समाधान करता रहा,और वोह मेरी उसके साथ बातचीत स्नेह और अपनत्व के साथ थी, उस महिला का संपर्क अपने बॉय फ्रेंड के साथ पुरबबत हो गया,और दुबारा जब उससे मेरी बात हुई तो वोह किसी और से बात करते हुए मेरा नाम लेते हुए बोली,कि इस क्रिसमस को सांता से  इसको मांगेगी|
 स्नेह और अपनत्व में वोह शक्ति है,जो कि बड़ी,बड़ी,तोपों,गोलों,बन्दूक,टेंको में नहीं |
 में तो यही कहता हूँ,जीत लो किसी का भी हिर्दय स्नेह और अपनेपन

2 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

बहुत मार्के की बात कही है आपने !

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सही कह रहे हैं आप .. स्‍नेह और अपनापन से किसी का भी दिल जीता जा सकता है !!

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अभी तो एक प्रश्न चिन्ह ही छोड़ा है ? (1) आत्मा अंश जीव अविनाशी (1) इन्ही त्योहारों के सामान सब मिल जुल कर रहें (1) इश्वर से इस वर्ष की प्रार्थना (1) इसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ | (1) उस अविनाशी ईश्वर का स्वरुप है | (1) एक आशियाना जिन्दगी का (1) कब बदलोगे अपनी सोच समाज के लोगों ? (1) कहाँ गया विश्व बंधुत्व और सदभावना? (1) कहीं इस कन्या का विवाहित जीवन अंधकार मय ना हो | (1) किसी का अन्तकरण भी बदला जा सकता है (1) किसी की बात सुन कर उसको भावनात्मक सुख दिया जा सकता है | (1) कैसे होगा इस समस्या का समाधान? (1) चाहता हूँ इसके बाद वोह स्वस्थ रहे और ऑपेरशन की अवयाक्ष्ता ना पड़े | (1) जय गुरु देव की (1) जीत लो किसी का भी हिर्दय स्नेह और अपनेपन (1) डाक्टर साहब का समर्पण (1) पड़ोसियों ने साथ दिया (1) बच्चो में किसी प्रकार का फोविया ना होने दें (1) बस अंत मे यही कहूँगा परहित सम सुख नहीं | (1) बुरा ना मानो होली है | (1) मानवता को समर्पित एक लेख (1) मित्रों प्रेम कोई वासना नहीं है (1) में तो यही कहता हूँ (1) यह एक उपासना है । (1) राधे (2) राधे | (2) वाह प्रभु तेरी विचत्र लीला (1) वोह ना जाने कहाँ गयी (1) शमादान भी एक प्रकार का दान है | (1) सब का नववर्ष सब प्रकार की खुशियाँ देने वाला हो | (1) समांहुयिक प्रार्थना मैं बहुत बल है | (1)