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गुरुवार, अक्तूबर 29

कैसे बचेगा इस बच्चे का पडाई से समबन्धित से भविष्य |

आज सोच रहा था कि, संजीवनी संस्था के बारे में लिखूं  जो कि मनोरोगियों की चिकत्सा करती थी, पहले भी लिख चुका हूँ, कि इसको में थी,इसलिए कह रहा हूँ,गूगल पर खोजने पर नहीं मिली, परन्तु अचानक मन में एक कसक उठी कि आज शिक्षा व्यापार क्यों हो गई ? वोह लोग जो बच्चों को पड़ा लिखा कर बच्चो का भविष्य सुधारते है ,उन लोगों ने शिक्षा को व्यापार क्यों बना लिया?
  शिक्षक तो वोह होतें हैं,जो बच्चे की ऊँगली पकड़ के उस प्रकार  क.ख .ग पढाते हैं,जिस प्रकार माँ बच्चे की ऊँगली पकड़ के चलना सिखाती है, पहले तो बच्चे के कदम लड़खाते हैं,वोह गिरता है,उठता है, फिर गिरता है,उठता है,और इस प्रकार धीरे,धीरे चलना सीख जाता है, और उसके पश्चात दोरने लगता है,इसी प्रकार प्रारंभिक कक्षा के शिक्षक उसकी ऊँगली पकड़ के लिखना सिखाते हैं,और उतरोतर बच्चा कक्षा की सीडिया चड़ता जाता है,और आने वाली कक्षाओं में और ज्ञान प्राप्त करता है, और बच्चे का विकास इंजिनियर,डॉक्टर,वकील,जज,प्रशसनिकसेवा इत्यादि  के लिए हो जाता है |
  इस विकास में,नवीं,दसवीं,ग्यारहवीं,बारहवीं कक्षा का बहुत महत्व है, और कुछ बनने के लिए यह क्रम नवीं कक्षा से प्रारंभ होता है, और उतरोतर बारहवीं कक्षा के बाद,अधिकतर बच्चे,डॉक्टर,अभियंता ,वकील इत्यादि बनने के लिए कमपिटीटीव परीक्षा की तयारी करते हैं, और उसमें सफल ना होने के बाद या यह परीक्षाएं ना भी देने के बाद इनका क्रम  स्नातक ,सनातोक्तर,या डॉक्टरेट की ओर हो जाता है,कहने का मतलब है,आधार तो नवीं कक्षा से ही प्रारंभ होता है |
   मेरी पेट के दर्द की वीमारी के समय  एक कंपाअंडर मुझे  इंजेक्शन लगाने के लिए आते थे , उसने मेरी पत्नी से कहा, मेरे बेटे को अंग्रेजी की टूशन पड़ा देंगी वोह नवीं कक्षा में पड़ता है ? मेरी पत्नी ने उसको हाँ कर दी, कुछ दिन तो मेरी पत्नी उसको पढाती रही, फिर मेरी पत्नी ने मुझ से कहा,आप इस को पड़ा दिया करो, और मैंने देखा वोह अंग्रेजी में कुछ नहीं कर पाता था, मैंने उस बच्चे से पुछा कि तुम्हारे स्कूल वाले कैसे पडाते हैं,वोह बोला हम लोगों को कुछ चीजे पड़ा देते हैं,और वोही परीक्षा में आ जातीं हैं,में तो उसकी इस बात से हैरान रह गया, फिर एक दिन मेरे पास वोह अपनी गणित की पुस्तक लाया,और उसने मुझसे कोई गणित का सवाल पुछा,जो कि में नहीं कर पाया, हमारे समय के गणित और इस समय के गणित में भी बहुत अंतर आ चुका है,और ना ही मेरा दिमाग उतना तीव्र है,जितना अपने समय में हुआ करता था,और गणित भी एक विषय था जिसके प्रश्न को उत्तर मुझे अपनी इंजीनियरिंग की परीक्षा के लिए देने थे,हो सकता बड़ती आयु के कारण दिमाग उतना  तीव्र ना रहा हो|
  खैर मैंने उस बच्चे के पिता को उस स्कूल के तरीके से अवगत कराया,तो उसके पिता ने कहा, "मेरे पैरो के नीचे से तो जमीन ही खिसक गयी" |
   उस बच्चे के पिता को उस बच्चे के एडमीशन के समय पर कोई उचित परामर्श देने वाला नहीं था, इस बच्चे में पड़ने की लगन भी है,और जो भी इसको सिखाओ इस बच्चे की बुद्धि उसको ग्रहण कर लेती है, यह बेचारा बच्चा अच्छे स्कूल में दाखिला लेने का प्रयत्न कर रहा है, लेकिन उस स्कूल में दाखिले से पहले बहुत कड़ी पर्तिस्पर्धा होती है, हम लोग तो इस बच्चे को हतोउतसहित नहीं करते,परन्तु अगर इसका दाखिला नहीं हो पायेगा तो इसके मस्तिष्क पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ेगा, इसके हिर्दय पर तो तुषारापात हो जायेगा, इस बच्चे का ही नहीं और बच्चो के भविष्य के साथ इस स्कूल वाले इस प्रकार शिक्षक और शिष्य के भविष्य ना बना कर गहन अन्धकार में, धकेल रहये हैं,और भी विषय इस स्कूल में इसी प्रकार से पढाते होंगे, माँ बाप ना जाने कितनी आशाएं रखते हैं, इस बच्चे के पिता कह रहे थे, "में दो समय की रोटी नहीं खाऊँगा,बस मेरे बच्चे का भविष्य बन जाये", और इस प्रकार के स्कूल बच्चों और अभिभावकों के साथ इस प्रकार से खिलवाड़ करतें हैं, इस समस्या का कोई उचित समाधान बता सकता है क्या? मेरा इस पोस्ट को लिखने का मतलब यही था,कोई इस समस्या का समाधान बताये तो,इस बच्चे का भविष्य तो उज्जवल हो जाये,और बाकि इस स्कूल में पड़ने वाले इसके साथियों का |
   इस स्कूल वालों ने वाकई में,विद्यार्थी शब्द को बदनाम करके इसको विद्या की अर्थी बना दिया है,साधारण तौर पर में इस प्रकार की असभ्य भाषा को उपयोग नहीं करता,परन्तु इस स्कूल ने मुझे इस प्रकार की भाषा का प्रयोग करने के लिए विवश कर दिया, और हिंदी लिखते समय  अंगेरजी के शब्दों का भी प्रयोग करने से बचता हूँ,परन्तु इस स्कूल के व्यवहार के कारण बहुत सारे शब्द  अंग्रेजी के आ गये हैं, इस स्कूल ने मुझे झकजोर दिया है |

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

बड़ी अफसोसजनक स्थितियाँ हैं.

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अभी तो एक प्रश्न चिन्ह ही छोड़ा है ? (1) आत्मा अंश जीव अविनाशी (1) इन्ही त्योहारों के सामान सब मिल जुल कर रहें (1) इश्वर से इस वर्ष की प्रार्थना (1) इसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ | (1) उस अविनाशी ईश्वर का स्वरुप है | (1) एक आशियाना जिन्दगी का (1) कब बदलोगे अपनी सोच समाज के लोगों ? (1) कहाँ गया विश्व बंधुत्व और सदभावना? (1) कहीं इस कन्या का विवाहित जीवन अंधकार मय ना हो | (1) किसी का अन्तकरण भी बदला जा सकता है (1) किसी की बात सुन कर उसको भावनात्मक सुख दिया जा सकता है | (1) कैसे होगा इस समस्या का समाधान? (1) चाहता हूँ इसके बाद वोह स्वस्थ रहे और ऑपेरशन की अवयाक्ष्ता ना पड़े | (1) जय गुरु देव की (1) जीत लो किसी का भी हिर्दय स्नेह और अपनेपन (1) डाक्टर साहब का समर्पण (1) पड़ोसियों ने साथ दिया (1) बच्चो में किसी प्रकार का फोविया ना होने दें (1) बस अंत मे यही कहूँगा परहित सम सुख नहीं | (1) बुरा ना मानो होली है | (1) मानवता को समर्पित एक लेख (1) मित्रों प्रेम कोई वासना नहीं है (1) में तो यही कहता हूँ (1) यह एक उपासना है । (1) राधे (2) राधे | (2) वाह प्रभु तेरी विचत्र लीला (1) वोह ना जाने कहाँ गयी (1) शमादान भी एक प्रकार का दान है | (1) सब का नववर्ष सब प्रकार की खुशियाँ देने वाला हो | (1) समांहुयिक प्रार्थना मैं बहुत बल है | (1)