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रविवार, जून 27

कठिन समय में पड़ोसियों ने भी साथ दिया |

 कहा जाता है, जो " मित्र कठिन समय में काम आता है,वोही सच्चा मित्र है", यह बात हमारे पड़ोसियों ने भी चरितार्थ करी , मेरी पत्नी की दोनों आँखों में मोतियाबिंद हो गया था, और मेरी पत्नी गाजियाबाद के एक स्कूल में पढाती है, उसके आँखों के मोतियाबंद का पता उस स्कूल की सालाना  गर्मियों की छुट्टी होने से कुछ ही दिन पहले पता चला था, डाक्टर साहब को दिखाया था,तो डाक्टर साहब बोले इसका, "ओपरेशन करना पड़ेगा", यह पूछने पर कि कब ओपरेशन करवाएं, वोह आँखों का निरिक्षण तो कर ही चुके थे, बायीं आंख में कम मोतिया था और दायीं आंख में अधिक, वोह बोले,अभी मोतिया अधिक नहीं बड़ा आप की जब इच्छा हो तब करवा लें, स्कूल का काम काज तो बायीं आंख के साहरे चल रहा था,और स्कूल की सालाना गर्मियों की छुट्टियों में एक माह बचा था  |
मेने मेरा समस्त वाली अलका जी से इसके लिए देसी इलाज पूछा था,तो उन्होंने मेरे ब्लॉग की पोस्ट "यह मेरी शतकीय पोस्ट है",उस पर उन्होंने देसी इलाज बता दिया था जिसमे ओपरेशन की आवश्यकता भी नहीं पड़ती, परन्तु उन्होंने लिखा था,तीन महीने में आँखों में उतरा मोतिया समाप्त हो जायेगा, एक तो समय स्कूल की गर्मियों की सालाना छुट्टियों के बाद स्कूल खुलने में एक महिना रह गया था, और दूसरा कि बहुत से लोग देसी इलाज के लिए कम ही सोचते हैं,और देसी इलाज इस प्रकार के रोग में करवाना नहीं चाहते हैं, मेरी पत्नी इस का  में अपवाद नहीं है, जबकि मेरे किसी रोग की चिकत्सा के बारे में अलका जी ने मुझे बताया था,और उस चिकत्सा से मुझे लाभ हुआ था, इसलिए स्कूल की गर्मियों की छुट्टी के समय मोतिया के ओपरेशन के बारे में निर्णय लिया गया,बायीं आंख का पहले और उसके तीन चार दिन के बाद दायीं आंख का |
 हमारी काम वाली की लड़की की शादी तय हो चुकी थी,जिसके बारे में मेने इसी ब्लॉग स्नेह परिवार में लिखा भी है, इसलिए उसने अपनी लड़की की शादी के कारण एक माह की छुट्टी ले ली थी,और विकल्प में अपने स्थान पर किसी और कामवाली  को लगा गयी थी, ऑपेरशन भी इसी माह में होना था, विकल्प में लगी काम वाली काम करने का काम करने वाली को दोनों समय का खाना बनाना भी था, जो कि पहली काम वाली करती थी, हम दोनों के जीवन की व्यस्तता तो रहती है,और में व्यस्त ना भी रहूँ मुझे भोजन बनाना नहीं आता है,बस चाय,कोफ़ी,सेंडविच बनाना और डबल रोटी के स्लाइस सेकना आता है, बाकि|कुछ नहीं आता |
 खैर स्कूल की गर्मियों की छुट्टियों में 24 मई को पत्नी की वायीं आंख के ओपरेशन का निर्णय हुआ था,हमारी बेटी का जन्मदिन 23 मई को होता है,इसलिए बेटी के जन्मदिन के एक दिन बाद वायीं आंख के ओपरेशन का निर्णय हुआ था,हमारे बेटी दामाद और उसके दोनों छोटे बच्चे आ चुके थे, 24 मई को मेरी पत्नी की बायीं आंख का ओपरेशन हुआ, अब डाक्टर साहब ने आंख का ख्याल रखने के लिए कुछ निर्देश दिए थे, जैसे मूह नहीं धोना, खाना नहीं बनाना क्योंकि खाना बनाते समय धुआं आंख को हानि पंहुचा सकती है,ओपरेशन के समय में,हमारे दामाद और बेटी ओपरेशन थियटर के बहार ही बैठे हुए थे, और ओपरेशन के बाद मेरी पत्नी की आंख के ऊपर लगी हुई पट्टी एक दिन बाद खुलनी थी, और एक दिन बाद मतलब कि 25 मई को मेरी पत्नी की आंख की पट्टी खुली,और वोह ख़ुशी से चीख पड़ी,कितना अच्छा दिखाई दे रहा है,और उसके अगले दिन यानि कि 26 मई को उसको बायीं आंख से कुछ नहीं दिखाई दे रहा था,और वोह रोने लगी,डाक्टर को दिखाने गए तो उन्होंने अच्छी तरह से बायीं को आंख को चेक किया और बोले कोई घबराने की बात नहीं है,केवल सूजन आ गयी है,इसलिए दिखाई नहीं दे रहा है,और उस दिन हमारी बेटी ने दिन और रात का खाना बनाया था,और वोह जो विकल्प में लगी हुई कामवाली थी उसने देख लिया हमारी बेटी को खाना बनाते हुए देख लिया,अभी तक तो वोह विकल्प में लगी हुई कामवाली, घर का सारे काम के साथ खाना भी बना रही थी,और वोह काम छोड़ कर चली गयी |
समस्या यहाँ से प्रारम्भ होती है,बाकि तो सारा काम हो सकता था,परन्तु खाना बनाना मुझे तो आता नहीं,और बेटी भी कितने दिन रहती वोह भी एक सप्ताह रह कर चली गयी, अपने घर के सामने रहने वाली पड़ोसन को बताया तो उसने बताया जहाँ वोह दूध लेने जाती है," उसके सामने वाले लडको को खाने  डिब्बा आता  है" , और उसने हमें प्रयत्न करके उस डिब्बे वाले का कार्ड ला कर दिया,हमने उस डिब्बे वाले से संपर्क किया तो खाने की समस्या तो समाप्त हो गयी थी, लेकिन उस डिब्बे वाले के घर में विवाह होने के कारण,हम को पहले ही  सूचित कर दिया गया था,5 दिन खाना नहीं आयगा,वोह वोही भोजन की समस्या मूह बाएं खड़ी थी, रोज,रोज बाजार से खाना लाना तो बहुत महंगा पड़ रहा था,तो एक और हमारी पड़ोसिन जिसका बीयूटी पार्लर भी है,उसने 5 दिन हम दोनों को सुबह का नाश्ता,दिन का तथा रात का भोजन तो कराया ही, और उसके साथ क्योंकि डाक्टर साहब ने यह भी कह रखा था,"अगर मेरी पत्नी सिर के बाल धोय, तो पीछे करके",तो उसने जब,जब मेरी पत्नी को आवश्यकता पड़ी तो उस बीयूटी पार्लर वाली ने मेरी पत्नी के सिर के बाल भी धोय,एक दिन तो दोनों हमारी पड़ोसिने रात का खाना बना लायीं |
अभी बायीं आंख को ओपरेशन हो चुका था,दायीं आंख का ओपरेशन होना बाकि था,बायीं आंख के हादसे के बाद मेरी पत्नी ने किसी पंडित से पूछा तो उसने कुछ बताया,जो मैंने कर दिया था,बायीं आंख ठीक हो चुकी थी,आंख का मामला था,में भी थोड़ा डरा हुआ था,और मेने डाक्टर साहब से पूछा,कि कभी,कभी मोतिया के ओपरेशन के समय आंख में लगाया हुआ लेंस अन्दर चला जाता है,डाक्टर साहब जो कि फेलो ऑफ़ रेटिना सोसाइटी से हैं,उन्होंने उस बारे में डरोईंग बना कर     मुझे अच्छी तरह से समझा दिया था,और इन दिनों गत्यात्मक ज्योतिष वाली संगीता जी दिल्ली आयीं हुई थी,अविनाश जी से मेने उनका संपर्क नंबर लिया  उनके बारे में तो पूछा नहीं,जो कि मुझे बाद में अशीशीटता लगी, और अपनी पत्नी के बारे में पूछने लगा,और वोह वोली गृह इत्यादि सब ठीक है,ओपरेशन करा लीजिये,और 1 जून को उसकी दायीं आंख का सफल ओपरेशन हो गया, अब तो
डिब्बे का भोजन आ रहा था, नहीं तो मुझे विश्वास है,उस समय भी पडोसी साथ देते |
पड़ोसियों ने साथ दिया 

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

padosi bhi bhagawan ka swarup hai bhagaswan kis rup me kiski kab madat karate hai ham insan nadan kya jane ?at: sri man ji ham sbko ek dusare ke dukh sukh me sahyog karan hi chahiye samy par wahi kam aata hai .
araganik bhagyoday .blogspot .com

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत खुब लिखा आप ने अच्छॆ पडोसी किस्मत से मिलते है, लेकिन हमे भी पडोसियो के संग मिल कर वेसे ही रहना चाहिये, हमारी पहली जर्मन पडोसन ने मां के समान हमारी मदद की तो हम केसे भुल सकते है

संगीता पुरी ने कहा…

आपकी पत्‍नी की आंखें ठीक हो गयी .. यह जानकर खुशी हुई !!

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