क्या बहुराष्ट्रीय संस्थाओं मैं ऐसा ही होता है |
बहुत दिनों के बाद, यह लेख लिख रहा हूँ,और इस लेख के शीर्षक के समान नहीं सोच पा रहा हूँ, यह मेरे बलोग में लिखूं या इसी स्नेह परिवार में, आज कल मेरा सम्बन्ध एक बहुराष्ट्रीय संस्थासे है,जिसमे मैं कार्यरत हूँ, इस संस्था मैं अनुभव करता हूँ, जो मुल्य आदर्श, हमारी पुरानी पीड़ी के महान व्यक्तियों ने जैसे कि महात्मा गाँधी मुख्यत: ने दिए हैं,और आज अन्ना हजारे जो उनके अनुयाई हैं, और जो उन्होंने भ्रष्टाचार विरोध की ज्वाला प्रजुल्ल्वत की उसको बिना जाने सोचे समझे, हमारी संस्था ने एक अभियान प्रारंभ किया है,और जिसका नाम रक्खा गया है,
"i am the change",और यहाँ यह कहना अनुचित न होगा,यह केवल और केवल अपने स्वार्थ के लिए धन उपार्जन के लिए, कहाँ वोह आन्दोलन निस्वार्थ और यहाँ स्वार्थ, क्या आज का यही परिवेश हैं ?
यहाँ उदहारण देते हैं, व्यगानिकों की खोजों का, अभिनेताओं के संघर्षो का जिसमे वरसो लग गए, जो कि यहाँ समय सीमा मैं निर्धारित है, हाल ही मैं हमारी इस संस्था मैं,एक आयोजन हुआ था,जिसका नाम रक्खा गया था,
"fire starter", और उसमें बहुत से उदहारण उधृत किये गए थे, जिसका मैं अपने लेखों मैं,अपने पूज्य गुरु जी
स्वामी परमहंस योगंनद जी ने जो शिक्षा दी है,जैसे कि इंसान की विचारधाराओं पर प्रभाव पड़ता है,देश काल,लालन पालन समाज और परिवेश का, इसमें नया क्या है ? जो कि "fire starter" मैं बताया गया था
फिर यह बताया गया था ,कि इंसान के कुछ पुरबाग्रह होतें है, जिसके बारे मैं गुरु जी कहतें हैं,इसको बदलने मैं आठ वर्ष लागतें हैं, और इसमें तो हमारी संस्था ने दो तीन वर्ष निर्धारित कर दिए हैं |
हम लोग तो खैर संस्था की और नियमित आय पर नहीं हैं, जो नियमित आये पर हैं,जब दो या इससे अधिक
नियमित आये वाले मिलते है, तो हम अनियमित आये वालों से ऐसे मुहं फेर लेते हैं,जैसे कि हम अपरिचित हैं |
जब यह नियमित आये वाले आदर्शों की बात करतें हैं,तो ना तो इनकी भाव भंगिमा उसके अनुरूप दिखती है, ना ही वाणी |
क्या यही बहुराष्ट्रीय संस्थाओं मैं होता है ?
समय मिला तो अपनी इस संस्था की अच्छी बांतो के बारें मैं भी लिखूंगा |
अभी तो एक प्रश्न चिन्ह ही छोड़ा है ?
4 टिप्पणियां:
यह केवल और केवल अपने स्वार्थ के लिए धन उपार्जन के लिए, कहाँ वोह आन्दोलन निस्वार्थ और यहाँ स्वार्थ, क्या आज का यही परिवेश हैं ?
सोंचने को मजबूर करता है ..
मुश्किल प्रश्न , विचारणीय ..
वाक़ई प्रश्न उठता विचारणीय आलेख
सच में हैरान करती हैं यह बातें .....विचारणीय पोस्ट
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