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सोमवार, दिसंबर 7

बच्चों पर मनोवगनिक दवाब डाल कर फोबिया से ना ग्रसित करें

 फोविया का अर्थ है जीवन भर का एसा डर,जिससे इन्सान जीवन भर नहीं निकल पाता
अक्सर देखा जाता है, बच्चो के मातापिता अपनी एसी इच्छायें जो वोह अपने जीवन में प्राप्त करना चाहते थे,और जो किसी भी कारण अपुर्ण रह गयीं,वोह अपने बच्चो में उसके पुर्ण होना देखना चाहते हैं, प्रारम्भ में तो आजकल बच्चे पर पडाई का बोझ इतना अधिक होता है, जिसके कारण उसका बाल सुलभ जीवन दब गया है,किताबों के बोझ में, उसका बचपन खो गया है किताबो में, और तिस पर माँ,बाप की अपेक्षा कि वोह पडाई में सबसे अच्छा हो, अब सब बच्चो का मस्तिष्क एक सा तो होता है, और वोह अगर अपने साथियों में कुछ पीछे हो तो उसको दुत्कारना नहीं चाहिये, अगर आप एसा करते हैं, तो बच्चा एक फोबिया से ग्रसित हो जाता है कि मेरे साथी मेरे से बेहतर है, जो कि आगे चल कर उसका जीवन इस प्रकार से अभिशिप्त हो जाता है कि वोह प्रतिसपर्धा से घबराने लगता है, और वोह प्रतिसपर्धा में ठीक से भाग नहीं ले पाता,और आजकल तो प्रतिसपर्धा का युग है और इस प्रकार उसमें उतपन्न हुआ फोबिया उसमें एक हीन भावना पैदा कर देता है कि वोह परतिसपर्धा के योग्य नहीं है ।
  धीरे,धीरे बच्चा उन कक्षा में आ जाता है, जहाँ से उसके भविष्य का निर्माण होता है,और माँ बाप अपनी अपुर्ण इच्छा को पुर्ण करने के लिये,उन विषयों का चुनाव करने के लिये कहतें हैं,जिन विषयों को किसी ना किसी कारण से वोह नहीं पड पाये जिस कारण से उनकी इच्छा पूरी नहीं हुई थी, और उसको अपने बच्चो में पूरा होना देखना चाहते हैं,चाहें बच्चे की उस में रुचि ना हो, और बच्चा बेमन से उन विषयों का चुनाव कर लेता है, और रूचि ना होने के कारण उसमें अचछा नहीं कर पाता तो उसकी हीन भावना और बड जाती है ।
  अब एक और फोविया पर आता हूँ, जब बच्चे का  स्वालम्बी होने का समय होता है तो उसको संघर्ष करने देने की बजाय आप उसके संघर्ष के कारण को अपने अनुभव से उसको संघर्ष ना करने देने की बजाय उसकी समस्या हल कर देतें हैं,और उसको संघर्ष की आदत नहीं रह जाती और आगे चल कर उसको एक फोविया हो जाता है कि में अकेले अपनी समस्या अपने आप  हल नहीं कर सकता ।
 वैसे फोविया बहुत प्रकार के होते हैं, गहरे पानी में जाने का  फोविया,अन्धेरे का फोबिया और बहुत बार माँ बाप नासमझी में बच्चे को किसी प्रकार के जीव,जन्तु जैसे चमगादड़ के बारे में बताना कि वोह शरीर का खून चूस लेता है,तो चमगादड का फोबिया हो जाता है,इत्यादि,इत्यादी
        बच्चो में किसी प्रकार का फोविया ना होने दें

2 टिप्‍पणियां:

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बहुत बढिया आलेख.

shama ने कहा…

Vinayji,
"Gazab Qaanoon" pe tippaneeke liye tahe dilse shukriya!

Jab bachhon ko bachpanse apne kiye ki zimmedaaree uthana sikhaya jay,tabhi wo utha payenge...aksar insaan apne har parajay ki zimmedaaree kisee aur ke sir madhta hai!

लेबल

अभी तो एक प्रश्न चिन्ह ही छोड़ा है ? (1) आत्मा अंश जीव अविनाशी (1) इन्ही त्योहारों के सामान सब मिल जुल कर रहें (1) इश्वर से इस वर्ष की प्रार्थना (1) इसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ | (1) उस अविनाशी ईश्वर का स्वरुप है | (1) एक आशियाना जिन्दगी का (1) कब बदलोगे अपनी सोच समाज के लोगों ? (1) कहाँ गया विश्व बंधुत्व और सदभावना? (1) कहीं इस कन्या का विवाहित जीवन अंधकार मय ना हो | (1) किसी का अन्तकरण भी बदला जा सकता है (1) किसी की बात सुन कर उसको भावनात्मक सुख दिया जा सकता है | (1) कैसे होगा इस समस्या का समाधान? (1) चाहता हूँ इसके बाद वोह स्वस्थ रहे और ऑपेरशन की अवयाक्ष्ता ना पड़े | (1) जय गुरु देव की (1) जीत लो किसी का भी हिर्दय स्नेह और अपनेपन (1) डाक्टर साहब का समर्पण (1) पड़ोसियों ने साथ दिया (1) बच्चो में किसी प्रकार का फोविया ना होने दें (1) बस अंत मे यही कहूँगा परहित सम सुख नहीं | (1) बुरा ना मानो होली है | (1) मानवता को समर्पित एक लेख (1) मित्रों प्रेम कोई वासना नहीं है (1) में तो यही कहता हूँ (1) यह एक उपासना है । (1) राधे (2) राधे | (2) वाह प्रभु तेरी विचत्र लीला (1) वोह ना जाने कहाँ गयी (1) शमादान भी एक प्रकार का दान है | (1) सब का नववर्ष सब प्रकार की खुशियाँ देने वाला हो | (1) समांहुयिक प्रार्थना मैं बहुत बल है | (1)