LATEST:


बुधवार, जनवरी 6

नववर्ष हर किसी के लिए सुख,समृधि लाये |

देखते,देखते वर्ष 2010 अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ गया, और पुराना वर्ष 2009 समय की गर्त में चला गया, इस वर्ष के जन्म के समय बधाइयाँ,शुभकामनाये,मंगल कामनाये और और मस्ती का समय था, और मेरी एसी कामना है,यह सब इस वर्ष से लेकर हर वर्ष तक रहे, ना कहीं आतंकवाद के मासूम लोगों की जान लेने वाले  धामके हों, ना ही कहीं सवाइन फ्लू जैसी और भी किसी प्रकार की महामारी जगत में व्याप्त ना हो,ना कहीं पराकरतिक  जान लेवा आपदाएं हों, बस सब ओर स्नेह और सोहार्द्य का वातावरण हो |
  कहने का मतलब है,सतयुग जैसा वातावरण लौट आये, सतयुग ना हो तो कम से कम रामराज्य तो हो, अगर हम सब विश्व के लोग समवेत स्वरोंसच्चे मन  से सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना करें, तो संभवत: ऐसा हो जाये, कहतें हैं,सच्चे मन से की हुई प्रार्थना में अत्यंत शक्ति होती है, और हो सकता है ऐसी प्रार्थना ईश्वर स्वीकार कर ले |
 जिसका जो भी इष्ट हो उससे प्रार्थना करें, हिन्दुओं के सगुण या निर्गुण भगवान्, मुस्लिम संप्रदाय के लिए खुदा, सिख संप्रदाय के लिए वाहे गुरु, और इसाई धर्म वालों के लिए इसा मसीह,और भी जो संप्रदाय,जैन,बोध और विश्व के सब धर्म को मानाने वाले और सब से ऊपर मानव संप्रदाय इस प्रकार की प्रार्थना करेंगे तो निश्चित ही एक अच्छे युग को निर्माण होगा |
  आप कहेंगे इस लेख को वर्ष आरंभ होने से पहले लिखना चाहिए था, परन्तु मेरा  इस लेख को वर्ष के प्रथम महीने के छटे दिन लिखने का प्रयोजन यह था, कि बहुत से लोग नवर्ष के आगमन के स्वागत सत्कार में लगें होंगे,और अब तक तो इस स्वागत सत्कार से निवृत हो गयें होंगे, इसलिए मैंने इस लेख को लिखने का इस दिन का चुनाव किया |
 यह नववर्ष आपकी नयी योजनाओं को,आपकी सुख समृधि को,आप की सभी आशाओं को फलीभूत करे |
  इसी वाक्य के साथ अपने इस लेख को विराम देता हूँ |
  

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

नव वर्ष आपको भी शुभ हो!!


’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’

-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.

नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'

कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.

-सादर,
समीर लाल ’समीर’

लेबल

अभी तो एक प्रश्न चिन्ह ही छोड़ा है ? (1) आत्मा अंश जीव अविनाशी (1) इन्ही त्योहारों के सामान सब मिल जुल कर रहें (1) इश्वर से इस वर्ष की प्रार्थना (1) इसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ | (1) उस अविनाशी ईश्वर का स्वरुप है | (1) एक आशियाना जिन्दगी का (1) कब बदलोगे अपनी सोच समाज के लोगों ? (1) कहाँ गया विश्व बंधुत्व और सदभावना? (1) कहीं इस कन्या का विवाहित जीवन अंधकार मय ना हो | (1) किसी का अन्तकरण भी बदला जा सकता है (1) किसी की बात सुन कर उसको भावनात्मक सुख दिया जा सकता है | (1) कैसे होगा इस समस्या का समाधान? (1) चाहता हूँ इसके बाद वोह स्वस्थ रहे और ऑपेरशन की अवयाक्ष्ता ना पड़े | (1) जय गुरु देव की (1) जीत लो किसी का भी हिर्दय स्नेह और अपनेपन (1) डाक्टर साहब का समर्पण (1) पड़ोसियों ने साथ दिया (1) बच्चो में किसी प्रकार का फोविया ना होने दें (1) बस अंत मे यही कहूँगा परहित सम सुख नहीं | (1) बुरा ना मानो होली है | (1) मानवता को समर्पित एक लेख (1) मित्रों प्रेम कोई वासना नहीं है (1) में तो यही कहता हूँ (1) यह एक उपासना है । (1) राधे (2) राधे | (2) वाह प्रभु तेरी विचत्र लीला (1) वोह ना जाने कहाँ गयी (1) शमादान भी एक प्रकार का दान है | (1) सब का नववर्ष सब प्रकार की खुशियाँ देने वाला हो | (1) समांहुयिक प्रार्थना मैं बहुत बल है | (1)